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Friday, November 15, 2024

मौसम ने फिर ली करवट, MP के कई जिलों में भारी बारिश का अलर्ट

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भोपाल। मौसम विभाग का पूर्वानुमान कहता है कि रीवा, शहडोल, जबलपुर, सागर, भोपाल, नर्मदापुरम, इंदौर एवं उज्जैन संभागों के जिलों में अनेक स्थान पर, ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में कुछ स्थानों पर वर्षा या गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं। मध्य प्रदेश में मानसून की आंखमिचौली जारी है। कभी बन रहे सिस्टम से बारिश की संभावना बन रही है, लेकिन हल्की वर्षा ही हो रहा है। अब अलग-अलग जगह बने वेदर सिस्टम से उम्मीद जताई जा रही है कि मानसून की सक्रियता एक बार फिर बढ़ेगी।अगले दो-तीन दिनों तक बारिश की संभावना बन रही है। मालवा-निमाड़ के कुछ इलाकों में तापमान तेजी से गिरा है। मौसम विभाग की चेतावनी के मुताबिक पांच संभाग और पांच जिलों में वज्रपात की आशंका है।

 

 

मौसम केंद्र की रिपोर्ट कहती है कि बीते 24 घंटों के दौरान प्रदेश के उज्जैन संभाग के जिलों में अनेक स्थानों पर, शहडोल, जबलपुर, सागर, नर्मदापुरम, इंदौर एवं भोपाल संभागों के जिलों में कुछ स्थानों पर तथा रीवा, ग्वालियर एवं चंबल संभागों के जिलों में कहीं-कहीं वर्षा दर्ज की गई। घट्टिया में 7, देपालपुर, रानापुर में 6, हाटपीपल्या में 5, उदयनगर, खरगोन, शुजालपुर, गौतमपुरा, बागली व सेगांव में 4 सेमी तक बारिश दर्ज की गई।

 

अगले 24 घंटों के लिए मौसम विभाग का पूर्वानुमान कहता है कि रीवा, शहडोल, जबलपुर, सागर, भोपाल, नर्मदापुरम, इंदौर एवं उज्जैन संभागों के जिलों में अनेक स्थान पर, ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में कुछ स्थानों पर वर्षा या गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं।

 

मौसम विभाग ने यलो अलर्ट भी जारी किया है, इसके मुताबिक शहडोल, जबलपुर, भोपाल, नर्मदापुरम तथा इंदौर संभागों के जिलों में तथा उज्जैन, देवास, शाजापुर, गुना व सागर जिलों में कहीं-कहीं बिजली गिरने की संभावना बताई गई है। 13-14 सितंबर को वर्षा की गतिविधियों में बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है।

 

 

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक अलग-अलग जगह बने वेदर सिस्टम के कारण मानसून में एक बार फिर सक्रियता आ गई है। बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाव का क्षेत्र अब गहरे कम दबाव के क्षेत्र में बदल गया है। इस वजह से रविवार से पूरे मध्य प्रदेश में वर्षा की गतिविधियों में तेजी आएगी। मानसून ट्रफ वर्तमान में ओखा, अकोला, जगदलपुर से लेकर बंगाल की खाड़ी में बने गहरे कम दबाव के क्षेत्र तक बना हुआ है।

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