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Tuesday, November 12, 2024

भारत-पाक बंटवारे में अग्रेजों के कर्ज का क्या हुआ था, जानिए पार्टिशन स्टोरी

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डेस्क: भारत की आज़ादी से करीब ढाई महीने पहले यह तय हो गया कि देश का विभाजन होकर दो हिस्सों में बंट जाएगा। वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने 3 जून 1947 को आकाशवाणी पर विभाजन की घोषणा की। जब यह निर्णय हो गया कि भारत का विभाजन होगा और पाकिस्तान के नाम से नया देश बनेगा, तो विभाजन की शर्तें और दस्तावेज तैयार करने की ज़िम्मेदारी दो व्यक्तियों को सौंपी गई। ये दोनों लोग एक जैसे सरकारी बंगलों में रहते थे, एक जैसी शेवरले गाड़ियों से दफ्तर आते थे, उनकी सैलरी भी एक जैसी थी और उनके दफ्तरों के बीच महज कुछ कदम की दूरी थी।

इनमें से एक व्यक्ति हिंदू था और दूसरा मुसलमान। भारत की ओर से विभाजन के दस्तावेज तैयार करने की ज़िम्मेदारी एचएम पटेल को मिली थी, जबकि पाकिस्तान की ओर से यह जिम्मेदारी चौधरी मुहम्मद अली को दी गई थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच संपत्ति का बंटवारा कैसे हुआ?
किताब “फ्रीडम एट मिडनाइट” में लिखा है कि विभाजन के दौरान सबसे अधिक विवाद पैसे को लेकर हुआ। झगड़ा इस बात पर था कि अंग्रेजों ने 5 अरब डॉलर का जो भारी-भरकम कर्ज लिया था, उसका क्या होगा? उसे कौन चुकाएगा? इसके अलावा, रिजर्व बैंक और अन्य सरकारी बैंकों में रखी नकदी और आरबीआई के तहखाने में रखी सोने की ईंटों का भी बंटवारा होना था। कई दिनों की बातचीत के बाद जब कोई समाधान नहीं निकला, तो एचएम पटेल और मुहम्मद अली को सरदार पटेल के घर के एक कमरे में बंद कर दिया गया।

अंग्रेजों के कर्ज का क्या हुआ?
उन्हें यह कहा गया कि जब तक वे किसी नतीजे पर नहीं पहुंच जाते, तब तक वे उस कमरे में ही बंद रहेंगे। आखिरकार, कई दिनों की सौदेबाजी के बाद दोनों ने एक समाधान निकाला। यह तय हुआ कि बैंकों में जमा नकदी का 17.5% हिस्सा पाकिस्तान को मिलेगा और भारत के कर्ज का 17.5% हिस्सा भी पाकिस्तान चुकाएगा। इसके अलावा, यह भी तय किया गया कि भारत की चल संपत्ति का 80% हिस्सा भारत के पास रहेगा और 20% पाकिस्तान को मिलेगा।

छोटी-छोटी चीजों का बंटवारा
लापियर और कॉलिन्स लिखते हैं कि विभाजन के दौरान ऐसी छोटी-छोटी चीजों का भी बंटवारा हुआ, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। जैसे- मेज, कुर्सियां, हैट टांगने की खूंटी, किताब रखने की अलमारी, टेबल लैंप, पंखे, टाइपराइटर, कलमदान और यहाँ तक कि कमोड भी बांटे गए।

रेल-लाइन और डिब्बों का बंटवारा कैसे हुआ?
लापियर और कॉलिन्स बताते हैं कि विभाजन के दौरान दो अन्य मामलों में भी विवाद हुआ। पहला- समुद्र में मारे गए जहाजियों की विधवाओं को पेंशन कौन देगा? क्या सभी मुस्लिम विधवाओं को, चाहे वे भारत में हों या पाकिस्तान में, पेंशन देने का जिम्मा पाकिस्तान का होगा? और पाकिस्तान में रहने वाली हिंदू विधवाओं को पेंशन कौन देगा? दूसरा विवाद रेल लाइन को लेकर हुआ। भारत की 26,421 मील लंबी रेल लाइन को कैसे बांटा जाए, इस पर कोई सहमति नहीं बन पा रही थी।

आखिरकार यह तय हुआ कि 7,112 मील रेल लाइन पाकिस्तान को मिलेगी। इसके अलावा, रेलगाड़ियों और मालगाड़ियों के डिब्बों को 80 और 20 के अनुपात में बांटा गया।

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