देश। Corona वायरस वैक्सीन के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है। अधिकतर अनुमान यही बताते हैं कि अगले साल तक कोई न कोई वैक्सीन लॉन्च हो जाएगी। एक भारतीय वैज्ञानिक ने कहा कि इस साल के आखिर तक हमें डेटा उपलब्ध हो जाएगा। पता चल जाएगा कि कौन सी वैक्सीन असरदार हैं और कौन सी काम नहीं कर रहीं। उन्होंने कहा कि अगर नतीजे अच्छे रहते हैं तो 2021 की पहली छमाही तक वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है। हालांकि इसकी डोज की संख्या कम होगी क्योंकि बड़े पैमाने पर वैक्सीन के उत्पादन में समय लगेगा। वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी की प्रोफेसर गगनदीप कांग ने ब्लूमबर्ग से बातचीत में यह बात कही। वह वैक्सीन सेफ्टी को लेकर बनी WHO की ग्लोबल एडवायजरी कमिटी की सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि वैक्सीन लॉन्च होने पर उसे 1.3 अरब से ज्यादा भारतीयों को उपलब्ध करा पाना एक बड़ी चुनौती होगा।
गगनदीप कांग ने कहा कि फिलहाल जिन वैक्सीन का फेज 3 ट्रायल चल रहा है, उनकी सफलता के चांस 50-50 हैं। उन्होंने कहा, “साल के आखिर तक हमें डेटा मिल जाएगा जो बताएगा कि कौन सी वैक्सीन काम कर रही हैं और कौन असर नहीं करेंगी। अगर तब तक हमें अच्छे नतीजे मिलते हैं तो फिर हम 2021 की पहली छमाही में कम मात्रा में वैक्सीन बना सकते हैं। दूसरी छमाही में बड़े पैमाने पर वैक्सीन की डोज तैयार होने लगेंगी।”
प्रोफेसर कांग जुलाई तक भारतीय सरकार की उस समिति का नेतृत्व कर रही थीं जो स्वदेशी वैक्सीन कैंडिडेट्स पर नजर रखे हुए है। भारत में बड़े पैमाने पर अलग-अलग कोविड वैक्सीनों के ट्रायल चल रहे हैं। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया जहां ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की बनाई वैक्सीन का फेज 3 ट्रायल कर रहा है। वहीं, फार्मा कंपनी डॉ रेड्डी लैबोरेटरीज ने कहा है कि फाइनल स्टेज ट्रायल पूरा करने और रेगुलेटरी अप्रूवल मिलने के बाद वह रूसी वैक्सीन
भारत में जो वैक्सीन तैयार हुई हैं, वह क्लिनिकल ट्रायल से गुजर रही हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और भारत बायोटेक की बनाई वैक्सीन Covaxin दूसरे दौर के ट्रायल में है। जबकि जायडस कैडिला की वैक्सीन ZyCov-D के थर्ड फेज क्लिनिकल ट्रायल के अप्रूवल की प्रक्रिया जारी है।