नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जानकारी दी है कि Monkeypox एक समलैंगिक बीमारी नहीं है। हाल ही कुछ दिनों में यूके और यूएस में Monkeypox के मामले बढ़े हैं और इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने प्रभावित देशों को नए संक्रमणों की पहचान करने और रिपोर्ट करने के प्रयासों को तेज करने की सलाह दी है। शुरुआत जांच में रिसर्चर ने साफ कहा है कि यह ‘समलैंगिक रोग’ नहीं है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि संक्रमण निकट संपर्क से फैलता है इसलिए यह किसी भी व्यक्ति को हो सकता है, जो किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है। Monkeypox को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों ने ये अहम जानकारी दी है WEHO के रोसमंड लुईस ने बताया कि मंकीपॉक्स निकट शारीरिक संपर्क से फैलता है। मंकीपॉक्स से संक्रमित लोगों में त्वचा पर दाने निकल आते हैं और वह शरीर पर निकले लाल दाने बेहद संक्रामक है।
WHO के वैज्ञानिक एंडी सीले ने बताया कि अभी तक हम ऐसे पुरुषों में Monkeypox के मामले देखते हैं जो समलैंगिक, उभयलिंगी या पुरुषों के अन्य समूहों के रूप में पहचान रखतेहै। साथ ही कई देशों के पुरुषों के संपर्क में रहते हैं और ज्यादातर यात्रा पर रहते हैं। हालांकि वैज्ञानिक एंडी सीले ने कहा कि Monkeypox समलैंगिक रोग नहीं है। WHO वैज्ञानिक मारिया वान केरखोव ने कहा कि हम Monkeypox रोग से संबंधित वायरस के बारे में बीते 40 साल से जानते हैं। लेकिन जिन देशों में मंकीपॉक्स के मामले देखे जा रहे हैं, उन्होंने कभी ऐसा पहले अनुभव नहीं किया है।
मारिया वान केरखोव का कहना है कि अभी स्थिति नियंत्रण में है। फिलहाल Monkeypox के मामले पूरे यूरोप, उत्तरी अमेरिका में ही निकल रहे हैं। इसके अलावा अफ्रीकी महाद्वीप को लेकर विशेष सावधानी रखने की जरूरत है। इससे पहले चेचक के वायरस के मामले में भी ऐसा ही देखा गया था। चेचक के मामले पहने अफ्रीका तक ही सीमित थे लेकिन फिर धीरे-धीरे अफ्रीकी देशों के बाहर 12 देशों में फैल गए थे। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि चेचक के टीकाकरण से क्रॉस-प्रोटेक्शन वृद्ध व्यक्तियों तक ही सीमित रहेगा क्योंकि 40 या 50 वर्ष से कम आयु की आबादी अब पूर्व टीकाकरण कार्यक्रमों से लाभान्वित नहीं होती है।