उज्जैन। मालवा क्षेत्र की लोक परंपरा के अनुसार बुधवार को रंगपंचमी धूमधाम से मनाई जा रही है। इस मौके पर महाकाल मंदिर में रंग खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह निर्णय पिछले साल होली के दिन केमिकलयुक्त गुलाल के कारण गर्भगृह में लगी आग के बाद लिया गया है।
सुबह तड़के चार बजे भस्म आरती का आयोजन हुआ। शाम 7:30 बजे संध्या आरती के दौरान पुजारी भगवान महाकाल को एक-एक लोटा केसरिया रंग अर्पित करेंगे। इसके बाद, शाम 6 बजे मंदिर की परंपरा अनुसार, चल समारोह भी निकाला जाएगा।
महाकाल की परंपरा में रंगों की छटा
महाकाल मंदिर की परंपराएं होली की तरह रंगीन और जीवंत हैं। हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहार राजा के आंगन में वैभव के साथ मनाए जाते हैं, और रंगपंचमी भी उनमें से एक है। इस दिन तड़के चार बजे भस्म आरती में पुजारी भगवान के साथ होली खेलते हैं, और दर्शनार्थियों को भी रंगों से नहलाया जाता है। हालांकि, पिछले साल धुलेंडी के दिन गर्भगृह में आग लगने के बाद मंदिर समिति ने भक्तों द्वारा रंग खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
मंदिर समिति ने भस्म और संध्या आरती में पुजारियों को केवल एक-एक लोटा केसरिया रंग अर्पित करने का निर्णय लिया है। पुजारी उसी रंग से भगवान के साथ होली खेलेंगे। शाम छह बजे मंदिर के पुजारी और पुरोहित परिवार द्वारा श्री महाकालेश्वर ध्वज चल समारोह निकाला जाएगा, जिसमें बैतूल का बैंड, महाराष्ट्र की ढोल पार्टी और विद्युत रोशनी से सजी धार्मिक झांकियां शामिल होंगी।
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