उज्जैन: मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर, जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, सावन के महीने में भक्तों की भारी भीड़ से भरा रहता है। इस मंदिर की महिमा और भी बढ़ जाती है जब यहां महाकाल की विशेष सवारी का आयोजन होता है। इस भव्य धार्मिक आयोजन से जुड़ी सिंधिया परिवार की ऐतिहासिक परंपरा करीब 250 साल पुरानी है, जिसे आज भी बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ निभाया जाता है।
सिंधिया परिवार और महाकाल की शाही सवारी
भाद्रपद मास में महाकाल की शाही सवारी उज्जैन में विशेष धार्मिक महत्व रखती है। इस शाही सवारी में सिंधिया परिवार की सहभागिता अनिवार्य मानी जाती है। इस वर्ष, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके पुत्र महाआर्यमन सिंधिया इस परंपरा का निर्वहन करेंगे। सिंधिया परिवार का महाकालेश्वर मंदिर से गहरा नाता है, जो राणोजी सिंधिया के समय से चला आ रहा है। राणोजी सिंधिया ने 250 साल पहले महाकालेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था, जिसके बाद से यह शाही सवारी की परंपरा फिर से शुरू हुई।
सिंधिया परिवार का उज्जैन से ऐतिहासिक जुड़ाव
मालवा क्षेत्र में प्रवेश के बाद सिंधिया परिवार ने उज्जैन को अपनी पहली राजधानी बनाया था। भगवान महाकाल को यहां के राजा के रूप में मान्यता प्राप्त थी, और यही कारण है कि सिंधिया परिवार का महाकालेश्वर मंदिर से विशेष लगाव रहा है। इस लगाव को ध्यान में रखते हुए, हर साल सिंधिया परिवार का एक सदस्य महाकाल की शाही सवारी में शामिल होता है।
धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की संजीवनी
आज सिंधिया परिवार की 14वीं पीढ़ी, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। हर साल महाकाल की सवारी में शामिल होकर वे न केवल अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी निभाते हैं, बल्कि धार्मिक आस्था और भक्ति का अद्वितीय उदाहरण भी प्रस्तुत करते हैं। यह परंपरा उज्जैन के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास का एक अभिन्न अंग बन चुकी है, जो हर साल हजारों भक्तों के दिलों में महाकाल के प्रति श्रद्धा और विश्वास को और अधिक मजबूत करती है।
महाकाल की शाही सवारी और सिंधिया परिवार की भागीदारी, उज्जैन की धार्मिक धरोहर का प्रतीक है, जो समय के साथ और भी पवित्र और महान होती जा रही है।