G-LDSFEPM48Y

पत्नी ने बीमार पति के स्पर्म निकालने की मांगी अनुमति, ताकि बन सके मां

डेस्क: केरल हाईकोर्ट ने एक अनोखे मामले में गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति के स्पर्म को निकालकर क्रायोप्रिजर्व (ठंडा संरक्षण) करने की मंजूरी दी है। ये आदेश उस 34 वर्षीय पत्नी की याचिका पर आया है, जो असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) के माध्यम से मां बनना चाहती हैं। दंपति की कोई संतान नहीं है और बीमार व्यक्ति की स्थिति लगातार बिगड़ रही है, जिससे वो स्वीकृति देने की स्थिति में नहीं है।

पत्नी की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि पति की स्थिति इतनी गंभीर है कि उसकी लिखित सहमति प्राप्त करना संभव नहीं है। महिला के वकील ने कोर्ट में कहा कि यदि इस मामले में और देरी की गई तो स्थिति और खराब हो सकती है। इस पर जस्टिस वीजी अरुण ने कहा कि चूंकि ऐसी स्थिति के लिए कोई स्पष्ट कानूनी प्रावधान नहीं है, इसलिए याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत दी जानी चाहिए। कोर्ट ने आदेश दिया कि बीमार व्यक्ति के स्पर्म को निकालकर क्रायोप्रिजर्व किया जा सकता है, लेकिन इसके अलावा कोई अन्य प्रक्रिया बिना कोर्ट की मंजूरी के नहीं की जाएगी।

इस फैसले के तहत, 16 अगस्त को कोर्ट ने बीमार व्यक्ति की लिखित मंजूरी के बिना उसका स्पर्म निकालने की अनुमति दी। एआरटी रेगुलेशन एक्ट के सेक्शन-22 के तहत, एआरटी उपचार के लिए सभी पक्षों की लिखित सहमति अनिवार्य होती है।

पिछले साल कोर्ट ने उम्र में छूट दी थी

पिछले साल दिसंबर में, केरल हाईकोर्ट ने एआरटी से संतान पाने की उम्र में छूट दी थी। कोर्ट ने आदेश दिया था कि उन मामलों में, जहां पत्नी की उम्र 50 साल या उससे कम और पति की उम्र 55 या 56 साल हो, एआरटी की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं। एआरटी एक्ट के सेक्शन 21 (जी) में प्रावधान है कि केवल 21 साल से अधिक और 50 साल से कम उम्र की महिलाओं और 21 साल से अधिक और 55 साल से कम उम्र के पुरुषों को एआरटी सेवाएं दी जा सकती हैं। जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा था कि इस कानूनी प्रावधान में ऊपरी आयु सीमा को मनमाना माना गया, हालांकि, कानून में आयु सीमा को बरकरार रखा गया था।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!