इसका जवाब वित्त मंत्रालय के प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर संजीव सान्याल ने दिया है, उनका कहना है कि केंद्र सरकार covid-19 संक्रमण के 6 हफ्तों के डेटा का बारीकी से निरीक्षण करेगी और फिर किसी आर्थिक दखल को तय करेगी, न कि महामारी की तीसरी लहर के अनुमानों के आधार पर इसका ऐलान किया जाएगा. संजीव सान्याल का ये बयान सरकार की खराब योजना को लेकर हुई आलोचनाओं पर आया है, जिसकी वजह से लोगों ओर इकोनॉमी को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है.
उन्होंने कहा कि हम इस समय अनिश्चितता से जूझ रहे हैं, तीसरी लहर आ सकती है, लेकिन वो कैसे आएगी हम नहीं जानते. नीति निर्माता के रूप में हमें तीसरी लहर के खिलाफ कुछ कदम उठाने होंगे, और अगर जरूर हुआ तो मॉनिटरी और वित्तीय दखल देंगे. लेकिन हमें 6 हफ्ते के डेटा को देखने और टेस्टिंग को मॉनिटर करने की जरूरत होगी, बजाय इसके कि ये कैसे बर्ताव करेगा. उन्होंने कहा कि हम पहले भी कुछ कदम उठा चुके हैं.
कुछ सेक्टर्स में सुधार हो चुका है लेकिन कुछ सेक्टर्स जैसे टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी अब भी मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. अगर हम एक जेनराइज्ड दखल देते हैं तो डिमांड और ग्रोथ तो बढ़ जाएगी लेकिन महंगाई को लेकर समस्या खड़ी हो जाएगी. सरकार वास्तविक डेटा पर तुरंत काम करना चाहेगी न कि अनुमानों के आधार पर. उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन को लेकर योजना और पूर्वानुमान काम करेंगे, ये इकलौता रास्ता है लॉकडाउन की स्थिति से बाहर निकलने का, और देश वापस लॉकडाउन के कड़े प्रतिबंधों में जाना नहीं चाहता.
आपको बता दें कि नीति आयोग इकोनॉमी के फोकस एरिया पर काम कर रहा है, एक बार जब नीति आयोग कोई प्लान तैयार कर लेगा, वित्त मंत्रालय उस पर फैसला करेगा. महामारी का इकोनॉमी पर असर कम करने के लिए RBI ने भी चरणद्ध तरीके से कई राहत पैकेजों का ऐलान किया था, जिससे इसकी कुल वैल्यू 30 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई थी, जो कि देश की कुल जीडीपी का 15 परसेंट है.