ग्वालियर/इंदौर। संपूर्ण व समग्र लाभ प्राप्त करने के लिए योगासन के प्रत्येक पक्ष को जानना जरूरी है। योग करते समय शरीर की क्षमता और आवश्यकता का भी ध्यान रखना चाहिए। उचित तौर-तरीके से किया गया योगाभ्यास ही लाभदायक होता है। पतंजलि योग सूत्र कहता है कि आसन वह है,जिसमें हम स्थिरता से सुखपूर्वक कुछ देर रुक सकें। यह बात योग विशेषज्ञ व योग चिकित्सक डॉ. हेमंत शर्मा ने नईदुनिया सेहतशाला के तहत मंगलवार को कही।
डॉ. शर्मा ने आसन के विभाजन का भी उल्लेख करते हुए बताया कि आसन का बहुत विस्तार होता है। जितनी भी तरह की योनियां हैं उतने ही तरह के आसन हैं, लेकिन सामान्य रूप से किए गए विभाजन में खड़े होकर, बैठकर, पेट के बल और पीठ के बल किए जाने वाले आसन शामिल हैं। उद्देश्यों की दृष्टि से आसनों का और भी विभाजन किया गया है जैसे ध्यानात्मक और विश्रामदायक आसन। इसके अलावा और जो भी आसन किए जाने हैं उन्हें शरीर संवर्धनात्मक आसन कहा जाता है। आसन को हमेशा शांति से करें, उसमें कोई जल्दबाजी न करें और आसन में कुछ देर रुकना चाहिए। डॉ. शर्मा ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बाद शशकासन करना बेहतर होता है। इसे करने के लिए वज्रासन में बैठकर सांस लेते हुए भुजाओं को सिर के ऊपर लाएं। उन्हें सीधा रखते हुए उनके बीच कंधों की चौड़ाई जितनी दूरी बनाए रखें। धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए हाथ और सिर आगे की ओर झुकाएं। दोनों हाथों और ललाट को घुटने के सामने जमीन पर टिका दें। अंतिम स्थिति में 10 श्वास तक रहें। फिर श्वास लेते हुए हाथ और सिर को उठाते हुए अपने आप को सीधा कर लें। जिन्हें उच्च रक्तचाप, स्लिप डिस्क, चक्कर आने की समस्या है, वे सावधानी से यह आसन करें।