भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को नाथ समुदाय की अंतिम संस्कार प्रक्रिया में सुधार की सलाह दी। उन्होंने यह बात भोपाल के रविंद्र भवन में आयोजित एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम में कही, जो विमुक्त, घुमक्कड़ और अर्द्ध घुमक्कड़ जनजातियों के विकास के लिए आयोजित किया गया था। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने समुदाय के लिए एक मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में नाथ समुदाय की परंपरा की ओर इशारा करते हुए कहा कि मृत्यु के बाद समाधि बनाने की प्रथा पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “आप समाधि बना देते हो, लोग चादर चढ़ा देते हैं, लेकिन इससे हमें परेशानी होती है। पुरखे हमारे हैं, लेकिन समाधि पर चादर चढ़ाकर फायदा कोई और ले लेता है।” उन्होंने सुझाव दिया कि समुदाय को दाह संस्कार की प्रक्रिया अपनानी चाहिए, जिससे समाज को लंबे समय में फायदा हो।
नाथ समुदाय की परंपरा में, जब किसी सदस्य का निधन होता है, तो उसे पालकी में बैठाकर समाधि स्थल तक ले जाया जाता है, और वहीं उसे दफनाया जाता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना था कि इस प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है, और उन्होंने समुदाय को सुझाव दिया कि दाह संस्कार की विधि अपनानी चाहिए।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने विमुक्त, घुमक्कड़ और अर्द्ध घुमक्कड़ जनजातियों के लिए “समर्थ पोर्टल” और “एम समर्थ मोबाइल ऐप” का भी शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि इन जनजातियों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ना राज्य सरकार का प्रमुख उद्देश्य है। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार इन समुदायों की प्रतिभाओं को निखारने और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए हमेशा तत्पर रहेगी।