ग्वालियर। शहर में COVID-19 संक्रमण के विस्फोट ने जनजीवन को परेशान और लाचार कर दिया है। महामारी से उत्पन्न आपदा में स्वार्थी तत्व लाभ के अवसरों की लूट में जुटे हैं। कोई दवाओं की कालाबाजारी कर रहा है, तो कोई जीवनरक्षक उपकरणों की मनमानी कीमत वसूल कर रहा है। ज्यादा, और ज्यादा मुनाफा कमाने की आपाधापी के हालात में शहर के एक युवा ने मरीजों की मजबूरी का हल निकलने की ठानी और देशी जुगाड़ों से ही एक ऑक्सीजन फ्लोमीटर बनाया है। खुद CMHO ने इस जुगाड़ को शहर के लिए बेहद जरूरी और कारगर बताया है। कुछ अस्पतालों ने युवक की इस जुगाड़ का उपयोग भी शुरू कर दिया है।
ऑक्सीजन सिलेंडर के ऊपर लगने वाला फ्लो-मीटर और पल्स ऑक्सीमीटर जैसे कुछ उपकरण बाजार से इन दिनों का गायब हो गए हैं। दरअसल ग्वालियर में पिछले एक सप्ताह से प्रतिदिन औसत एक हजार संक्रमित मरीजों के मिलने का सिलसिला जारी है। नतीजतन जरूरी जीवन रक्षक मेडिकल-उपकरण ब्लैक में मंहगी कीमत चुका कर खरीद रहे हैं। सबसे ज्यादा खरीद थर्मामीटर, पल्स-ऑक्सीमीटर ऑक्सीजन सिलेंडर के ऊपर लगने वाला लगने वाला फ्लो-मीटर, और ग्लूकोमीटर की हो रही है, और यह सब मेडिकल स्टोर से गायब हो चुके हैं। पल्स-ऑक्सीमीटर की सामान्य बाजार-मूल्य सिर्फ 800 रुपए है, जो अभी 2.5 हजार रुपए में भी बाजार में उपलब्ध नहीं है। इसी तरह एक हजार में मिलने वाला ऑक्सीजन सिलेंडर का फ्लो-मीटर की 8-10 हजार रुपए में काला-बाजारी की जा रही है। प्रशासन की ओर से इन काला-बाजारियों की रोकथाम के विरुद्ध किसी भी तरह की कार्यवाही भी नहीं की जा रही है, पुलिस ने जरूर कुछ उपकरण पकड़े हैं।
खुद CMHO ने भी की तारीफ, मरीजों की परेशानी दूर करने में कारगर…
मरीजों के परिजन की परेशानी को देख शहर के युवा मैकेनिकल वर्कशॉप संचालक मोहन कुशवाह ने इस समस्या का तोड़ निकालने की ठानी और जल्द ही इसका समाधान निकाल लिया। मोहन ने अपनी वर्कशॉप में देशी जुगाड़ों से करीब एक हजार रुपए की लागत से ऑक्सीजन फ्लो-मीटर बना लिया, और वह इसे फिलहाल सिर्फ लागत पर उपलब्ध कराने को तैयार है। शहर के CMHO डॉ.मनीष शर्मा ने भी मोहन की इस जुगाड़ को कारगर बताते हुए प्रशंसा की है। साथ ही शहर के निजी अस्पतालों के तकनीकी विभागों ने मोहन के ऑक्सीजन फ्लो-मीटर ख़रीदने भी शुरू कर दिए हैं।