ग्वालियर :- मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) और ग्वालियर-अंचल की राजनीति में जिस प्रकार से केन्द्र और सूबे की भाजपा द्वारा आयातित नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को तबज्जों दी जा रही हैं। उससे ऐसा लग रहा है कि अब सिर्फ सरकार और भाजपा (BJP) में सिंधिया राज है। जहां तक ग्वालियर-अंचल की बात है, यहां केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) के समर्थक बुरी तरह उपेक्षित है। वह ना तो शहर भाजपा के किसी इवेंट में नजर आ रहे है और ना ही उनकी कोई पूछपरख बची है। सभी उपेक्षित है। बस अंचल में अब ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों का बोलबाला है। बचीकुची तबज्जो भाजपा जिलाध्यक्ष और सांसद साहब की है। कहीं भी तोमर समर्थक का अता पता नहीं है।
पिछले दिनों गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) ग्वालियर (Gwalior) आये तो सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों के यहां पहुंचे। सांसद, पूर्व भाजपा विधायकों के यहां भी गये। परंतु तोमर समर्थक किसी नेता से मुलाकात करना उचित नहीं समझा। इससे भी अंदर ही अंदर तोमर समर्थक बेहद खफा है। पूर्व जिलाध्यक्ष, पूर्व साडा अध्यक्ष, पूर्व जीडीए अध्यक्ष समेत कई नेता अलग-थलग पड गये है। बस सिंधिया और उनके समर्थकों का भाजपा में वर्चस्व है।
ऐसे ही एक तोमर समर्थक नेता की माने तो जब से सिंधिया आये है तब से पार्टी का बटटा बैठ गया है। वही अब ट्रांसफर पोस्टिंग में भी खूब लेनदेन का खेल चल रहा है। इससे भाजपा की छवि बिगड़ गई है।
सूत्रों के अनुसार ग्वालियर-चमबल की 17 सीटों पर उपचुनाव होना हैं और यह 17 सीटें ही सिंधिया के वर्चस्व तय करेंगी की अंचल में सिंधिया की क्या भूमिका रहेंगी। सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर की राजनीती से दूर नज़र आ रहे हैं और प्रदेश की राजनीती में तोमर की अहम भूमिका रही हैं। वहीं शिवराज मंत्रिमंडल और केन्द्र की राजनीती में भी तोमर की अहम भूमिका देखी जा रही हैं। फ़िलहाल अंचल की राजनीती भूमिका में तोमर का इंतज़ार है।