भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते महीने कोरोना वैक्सीन की बूस्टर खुराक देने का ऐलान किया था। कोरोना महामारी की तीसरी लहर आ चुकी है और ऐसे में गंभीर बीमारियों से ग्रसित वरिष्ठ नागरिकों के साथ-साथ स्वास्थ्यकर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर भी आज को कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लगना शुरू हो चुकी है। पीएम मोदी ने इसे प्रिकॉशन डोज कहा है। एहतियाती खुराक की खुराक के लिए रजिस्ट्रेशन करने की कोई आवश्यकता नहीं है, जो पात्र हैं वे सीधे अपॉइंटमेंट ले सकते हैं या टीकाकरण केंद्र पर जा सकते हैं। सभी वयस्कों के लिए बूस्टर खुराक पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
स्वास्थ्य और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग जिन्हें डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और पुरानी बीमारियां हैं, वे बूस्टर डोज ले सकते हैं। हालांकि पात्र लोगों को कोविड वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के 9 महीने बाद ही बूस्टर खुराक दी जाएगी।
एहतियाती खुराक में पात्र लोगों को वहीं वैक्सीन लगाई जाएगी, जो उन्हें पहली और दूसरी खुराक के लिए मिली है। केंद्र ने कहा है कि जो वैक्सीन पहले ली जा चुकी है, वही वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर दी जाएगी यानि जिन लोगों को सीरम इंस्टिट्यूट के वैक्सीन कोविशील्ड की दो खुराक मिली है, उन्हें उसी की तीसरी खुराक दी जाएगी, जबकि जिन्हें भारत बायोटेक की कोवैक्सीन दी गई है, उन्हें भी कोवैक्सिन की तीसरी खुराक दी जाएगी।
जानिए क्यों जरूरी है कोरोना की बूस्टर डोज गौरतलब है कि कोरोना वैक्सीन का करीब 6 माह में असर खत्म हो जाता है या कम होने लगता है। डॉक्टरों के मुताबिक डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रान वेरिएंट तीन गुना ज्यादा संक्रामक है। ऐसे में कोरोना संक्रमित होने की आशंका ऐसे लोगों में ज्यादा है, जिन्होंने सबसे पहले वैक्सीन लगवाई थी और 6 महीने से ज्यादा समय हो चुका है। ऐसे में बुजुर्गों के फिर से संक्रमित होने का खतरा बढ़ गया है। दूसरे डोज और प्रिकाशनरी डोज के बीच 9 महीने से 12 महीने के बीच का गैप होना चाहिए।