नई दिल्ली। देश में लाउडस्पीकर पर चल रहे विवाद के बीच इलाहाबाद हाई ने बड़ा फैसला दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि मस्जिद पर लाउडस्पीकर लगाना मौलिक अधिकार नहीं है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कर अजान लगाए जाने की याचिका खारिज कर दी। देश में लाउडस्पीकर को लेकर चल रही बहस के बीच हाई कोर्ट का यह आदेश अहम माना जा रहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक कुमार बिरला और जस्टिस विकास बुधवार की बैंच ने यह व्यवस्था दी। इरफान नामक शख्स ने यह याचिका दायर की थी। इरफान ने लाउडस्पीकर पर अजान पढ़ने की मांग के साथ अपने इलाके के एसडीएम से अनुमति मांगी थी।
एसडीएम से अनुमति नहीं मिली तो इरफान ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुनवाई के दौरान इरफानइरफान के वकीलों ने दलील दी कि लाउडस्पीकर के उपयोग से रोका जाना पूरी तरह गलत है और उनके मूलभूत अधिकार का उल्लंघन है। जजों ने यह दलील खारिज करते हुए कहा कि कानून अब तय हो गया है कि मस्जिदों से लाउडस्पीकर का उपयोग मौलिक अधिकार नहीं है।
उधर, महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर का मुद्दा उठाने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे विरोधियों के निशाने पर हैं। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने राज ठाकरे के मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के आह्वान पर निशाना साधा और कहा कि किसी को भी सरकार के साथ ‘अल्टीमेटम की भाषा’ नहीं बोलनी चाहिए। पवार ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला महाराष्ट्र में सभी पूजा स्थलों पर लागू होता है, और कहा कि राज्य सरकार कानून और संविधान के अनुसार चलती है। राकांपा के वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि अगर कोई कानून तोड़ने की कोशिश करेगा तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष श्री ठाकरे ने पहले राज्य सरकार को 3 मई तक मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने का अल्टीमेटम दिया था।