सहयोगी पार्टी भी कर रही विरोध
बता दें कि अकाली दल के इस्तीफा देने के बाद इस मामले में मोदी सरकार का घेराव और भी ज्यादा होने लगा है. गुरुवार के दिन जब सदन में अध्यादेश को लाया गया, तभी से शिरोमणि अकाली दल इस बिल का विरोध कर रही है. लोकसभा में बिल के पेश किए जाने पर शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बाद ने इसका विरोध करते हुए कहा कि हरसिमरत कौर केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्री के पद से इस्तीफा देंगी.
मेहनत होगी बर्बाद
सदन में बिल पर हो रही चर्चा के बीच NDA सहयोगी सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि किसानों की भावनाओं को सरकार को बता दी गई है. हमने काफी प्रयास किया कि लोगों की आशंकाएं दूर की जाएं, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. पंजाब राज्य में कृषि के आधारभूत ढांचे को तैयार करने में सरकारों ने कठिन परिश्रम किया है और इसमें 50 वर्ष का समय लगा है. यह अध्यादेश सरकारों की 50 साल की मेहनत को बर्बाद कर देगा. बता दें कि इस अध्यादेश का विरोध विपक्षी दलों ने भी खूब जोर-शोर से किया. उनका मानना है कि यह कानून किसानों को सुरक्षाकवच के रूप में दिए जा रहे MSP (न्यूनतम ब्रिक्री मूल्य) प्रणाली को कमजोर कर देगा. ऐसे में निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा और बड़ी कंपनियां किसानों का शोषण करेंगी.
बिल में क्या है?
अगर बिल (Kisan Bill) के विरोध की बात करें तो किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 में एक परिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का प्रावधान किया गया है. यानी एक ऐसा माहौल तैयार किया जाएगा, जहां किसान और व्यापारी किसी भी राज्य में जाकर अपनी फसलों को बेच और खरीद सकेंगे. इस बिल के मुताबिक जरूरी नहीं कि आप राज्य की सीमाओं में रहकर ही फसलों की बिक्री करें. साथ ही बिक्री लाभधायक मूल्यों पर करने से संबंधित चयन की सुविधा का भी लाभ ले सकेंगे.
वहीं अगर दूसरे बिल किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 की बात करें तो इसके तहत कृषि समझौते पर राष्ट्रीय ढांचे को तैयार करने का प्रावधान किया गया है. यानी इसके जरिए किसानों को कृषि व्यापार में किसानों, व्यापारियों, निर्यातकों इत्यादि के लिए पारदर्शी तरीके से सहमति वाला लाभदायक मूल्य ढांचा उपलब्ध कराना है.
(Kisan Bill) बिल में ये चीजे हैं शामिल
1- कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक,2020 के तहत किसान देश के किसी भी कोने में अपनी उपज की बिक्री कर सकेंगे. अगर राज्य में उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा या मंडी सुविधा नहीं है तो किसान अपनी फसलों को किसी दूसरे राज्य में ले जाकर फसलों को बेंच सकता है. साथ ही फसलों को ऑनलाइन माध्यमों से भी बेंचा जा सकेगा, और बेहतर दाम मिलेंगे.
2- मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता, 2020 के तहत किसानों की आय बढ़ाने को लेकर ध्यान दिया गया है. इसके माध्यम से सरकार बिचौलिओं को खत्म करना चाहती है. ताकि किसान को उचित मूल्य मिल सके. इससे एक आपूर्ति चैन तैयार करने की कोशिश कर रही है सरकार.
3- आवश्यक वस्तु (संशोधन), 2020 के तहत अनाज, खाद्य तेल, आलू-प्याज को आनिवार्य वस्तु नहीं रह गई हैं. इनका अब भंडारण किया जाएगा. इसके तहत कृषि में विदेशी निवेश को आकर्षित करने का सरकार प्रयास कर रही है.
विरोध क्यो?
1- इसमें किसानों व अन्य राजनैतिक पार्टियों का कहना है कि अगर मंडियां खत्म हो गई तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Selling Price) नहीं मिल पाएगी. इसलिए एक राष्ट्र एक MSP होना चाहिए.
2- विरोध का कारण यह भी है कि कीमतों को तय करने का कोई तंत्र नहीं है. इसलिए किसानों और राजनैतिक दलों की चिंता यह है कि कहीं निजी कंपनियां किसानों का शोषण न करें.
3- चिंता यह भी है कि व्यापारी इस जरिए फसलों की जमाखोरी करेंगे. इससे बाजार में अस्थिरता उत्पन्न होगी और महंगाई बढ़ेगी. ऐसें में इन्हें नियंत्रित किए जाने की आवश्यकता है.