Indian Army got new Drone : भारतीय सेना को एक नई ताकत मिली है. भारत ने अभ्यास लड़ाकू ड्रोन (ABHYAS) का ओडिशा के बालासोर में सफल परीक्षण किया है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने अभ्यास – हाईस्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (ABHYAS – HEAT) का फ्लाइट टेस्ट मंगलवार को किया. भारतीय सशस्त्र बलों को अभ्यास लड़ाकू ड्रोन का काफी लाभ मिलेगा.
राजनाथ सिंह ने DRDO को दी बधाई
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अभ्यास के सफल उड़ान परीक्षण को बड़ी सफलता करार दिया है. राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा, ‘DRDO ने आज ITR बालासोर से अभ्यास – हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट के सफल उड़ान परीक्षण के साथ एक मील का पत्थर पार किया है. इसका इस्तेमाल विभिन्न मिसाइल प्रणालियों के मूल्यांकन के लिए एक लक्ष्य के रूप में किया जा सकता है. इस उपलब्धि के लिए DRDO और इससे जुड़े लोगों को बधाई.’
जबर्दस्त है अभ्यास का डिजाइन
अभ्यास को DRDO के एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (एडीई) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है. इसे ट्विन अंडरस्लैंग बूस्टर का उपयोग करके लॉन्च किया गया है. DRDO ने अभय को एक इन-लाइन छोटे गैस टर्बाइन इंजन पर डिज़ाइन किया है. यह डिवाइस स्वदेशी रूप से विकसित माइक्रो-इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम-आधारित प्रणाली है. इसका प्रयोग नेविगेशन के लिए किया जाता है. DRDO ने इसे खास तरह से डिजाइन किया है. पूरे ढांचे में पांच मुख्य हिस्से हैं, जिसमें नोज कोन, इक्विपमेंट बे, ईंधन टैंक, हवा पास होने के लिए एयर इंटेक बे और टेल कोन हैं.
अभ्यास कैसे करता है काम?
अभ्यास ड्रोन एक छोटे गैस टर्बाइन इंजन पर काम करता है. यह एमईएमएस नेविगेशन सिस्टम और फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर के सहारे चलता है. अभ्यास को पूरी तरह से स्वायत्त उड़ान के लिए तैयार किया गया है.
परिवहन और भंडारण
अभ्यास ड्रोन में ईपीई (Expanded Polyethylene) से बना परिवहन और भंडारण के लिए बॉक्स है. इसके अंदर एक क्रॉस-लिंक पॉलीएथलीन (Cross-linked polyethylene) फोम सामग्री है. इस पर मौसम, तरल बूंदे और कंपन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
कहां होगा अभ्यास का इस्तेमाल ?
अभ्यास के रडार क्रॉस-सेक्शन (radar cross-section) और विजुअल-इंफ्रारेड सिग्नेचर का प्रयोग विभिन्न प्रकार के विमानों और हवाई सुरक्षा उपकर्णों में किया जा सकता है. यह जैमर प्लेटफॉर्म और डिकॉय के रूप में भी कार्य कर सकता है।