भोपाल :- मध्यप्रदेश भाजपा (Madhya Pradesh BJP) के प्रदेश संगठन महामंत्री रहे भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री अरविंद मेनन की सक्रिय राजनीति में एंट्री का मध्यप्रदेश पर क्या प्रभाव होगा? इसको लेकर राजनीति गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है। अरविंद मेनन के पास संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है। अरविंद मेनन के कार्यकाल में भाजपा ने मध्यप्रदेश में 2 बार जीत का परचम लहराया था। 2018 और 2013 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर और अरविंद मेनन की तिकड़ी बहुत मशहूर थी। 2013 के बाद भाजपा संगठन में हुए बदलाव से यहाँ का संगठन लगातार कमजोर होता गया।
ये भी पढ़े :- कोरोना काल में दी गई रियायतों की समय सीमा खत्म, अब आएंगे नए नियम, जानिए क्या होंगे नए नियम
इसके अलावा अरविंद मेनन के जितने भी करीबी लोग थे उन्हें भी साइडलाइन कर दिया गया। चाहे वे बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे विनोद गोटिया हों या फिर पूर्व मंत्री रहे राजेन्द्र शुक्ल। अब अरविंद मेनन की सक्रिय राजनीति में एंट्री से यह माना जा रहा है कि उनके करीबी लोगों प्रदेश में अहम जिम्मेदारी से नवाजा जा सकता है। जिसमें राजेन्द्र शुक्ल, रीति पाठक, विनोद गोटिया, अमरदीप मौर्य जैसे नेताओं के नाम शामिल है।
इनके अलावा और भी कई लोग हैं जिनके भीतर अब उम्मीद जागी है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इस बार फग्गन सिंह कुलस्ते, ज्योति धुर्वे को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। हालांकि फग्गन सिंह कुलस्ते केंद्र में अभी मंत्री हैं। ज्योति धुर्वे को फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में दोषी पाए जाने के टिकट नहीं मिला था।
ये भी पढ़े :- गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कांग्रेस मनगढ़ंत और झूठा आरोप लगाती, हम कांग्रेस की तरह नहीं है
सिंधिया और सहस्त्रबुद्धे केंद्र में बनाये जा सकते हैं मंत्री
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को उपचुनाव केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। इनके अलावा लंबे समय तक मध्यप्रदेश के प्रभारी रहे विनय सहस्त्रबुद्धे को भी केंद्र में मंत्री बनाये जाने की चर्चा है। विनय सहस्त्रबुद्धे मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। नासिक इनका जन्म स्थल है। सहस्त्रबुद्धे ने नासिक के शासकीय विद्या निकेतन में अपनी स्कूल एजुकेशन पूरी की है। इसके बाद कॉलेज में उन्होंने एबीवीपी से जुड़कर छात्र राजनीति की। 2 बार से राज्यसभा सांसद है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे हैं। इस बार उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नहीं लिया गया। इसलिए यह माना जा रहा है कि उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। इनके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया जो कि पूर्व में कांग्रेस की सरकार में केंद्रीय राज्य ऊर्जा मंत्री रह चुके हैं। दिल्ली के सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी जब भी मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी मंत्री बना सकते हैं।
ये भी पढ़े :- IPL 2020 : हैदराबाद ने कैपिटल्स को 15 रन से हराया
प्रभात झा को भी मिल सकती है अहम जिम्मेदारी
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व 2 बार राज्यसभा सांसद रहे प्रभात झा को भी अहम जिम्मेदारी मिल सकती है। चर्चा है कि उपचुनाव के प्रभात झा को हिमाचल प्रदेश या झारखंड के राज्यपाल बनाया जा सकता है। भाजपा में प्रभात झा को राजनैतिक विद्वान माना जाता है। प्रभात झा हिंदी, मैथिली, अंग्रेजी और मराठी भाषा के जानकार हैं। प्रभात झा का जन्म बिहार में हुआ और शिक्षा दीक्षा महाराष्ट्र में और उनका कार्यक्षेत्र मध्यप्रदेश रहा है। लंबे समय तक पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े रहे हैं। प्रभात झा मध्यप्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष भी रहे हैं। भाजपा में एक थिंक टैंक की भूमिका निभाते रहे हैं। इसलिए उन्हें राज्यपाल बनाया जा सकता है।
उमाभारती का भी बढ़ेगा कद
मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव के बाद भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमाभारती का भी राजनीतिक कद बढ़ाया जा सकता है। उपचुनाव में उमाभारती स्टार प्रचारक के रूप में काम करेंगी। 2003 के विधानसभा चुनाव में उमाभारती ने ही प्रदेश की तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार को उखाड़ फेंका था। लेकिन हुबली कांड की वजह उमा भारती को इस्तीफा देना पड़ा था। तब उमाभारती ने अपने विश्वसनीय बाबूलाल गौर को मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन बाद में गौर करीब 2 साल तक मुख्यमंत्री पद पर जमे रहे, बाद में केंद्रीय नेतृत्व ने गौर को हटाकर शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाया था। शिवराज सिंह चौहान नवम्बर 2005 से लगातार दिसंबर 2018 तक 13 साल मुख्यमंत्री रहे। सूत्र यह भी बताते हैं कि उपचुनाव के बाद उमा भारती को मध्यप्रदेश में भी कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।