भोपाल। जैसे जैसे उपचुनाव पास आ रहा है। हर पार्टी अपने अपने तरीके से दूसरी पार्टी पर आरोप या तंज कसने में लगी हुई है। वैसे तो बीजेपी और कांग्रेस का एक दूसरे पर तंज कभी खत्म नहीं होता। लेकिन इस बार राहुल गाँधी के फोरेनर होने की वजह से शिवराज (Shivraj) ने उन पर तंज कस्ते हुए कहा, जो खेती से अनजान है वो टैक्टर पर सोफा लगाकर गावों में घूम रहे, किसानो को कृषि बिल पर सलहा दे रहे। जिसको ये नहीं पता की प्याज जमीन के ऊपर होती या नीचे।
वो किसानों को क्या सलहा देते है।
शिवराज (Shivraj) ने यह भी कहा, कृषि बिल पर कांग्रेस के पास “न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी”
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हम आपको बता दे, हाल ही में आये कृषि बिल का कांग्रेस के साथ साथ बीजेपी के भी नेताओ ने संसद में बहुत विरोध किया था। कृषि बिल के ही विरोध में हरसिमरत कौर ने भी इस्तीफा दे दिया था। किसान लगातार कृषि बिल के विरोध में धरना दे रहे है। पंजाब-हरयाणा बॉर्डर को भी कृषि बिल के विरोध के चलते हालत काबू करने के लिए बंद किया गया था।
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बिल में ऐसा क्या है जो हो रहा विरोध, जानिए –
किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020 में एक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण का प्रावधान किया गया है। इसमें किसान और व्यापारी विभिन्न राज्य कृषि उपज विपणन विधानों के तहत अधिसूचित बाजारों के भौतिक परिसरों या सम-बाजारों से बाहर पारदर्शी और बाधारहित प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार चैनलों के माध्यम से किसानों की उपज की खरीद और बिक्री लाभदायक मूल्यों पर करने से संबंधित चयन की सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।
खरीद और बिक्री का मिलेगा लाभ।
वहीं, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 में कृषि समझौतों पर राष्ट्रीय ढांचे के लिए प्रावधान है, जो किसानों को कृषि व्यापार फर्मों, प्रोसेसरों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुद्दार विक्रेताओं के साथ कृषि सेवाओं और एक उचित तथा पारदर्शी तरीके से आपसी सहमति वाला लाभदायक मूल्य ढांचा उपलब्ध कराता है।
यह आपको सही मूल्य उपलब्ध करवाएगा।
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इससे किसान अब अपनी उपज कहीं भी बेच सकेंगे और बेहतर दाम मिलेंगे। ऑनलाइन बिक्री कर सकेंगे। किसानों की आय बढ़ेगी। बिचौलिए खत्म हो जायेंगे, और एक आपूर्ति चेन तैयार होगा। अनाज, दलहन, खाद्य तेल, आलू-प्याज अनिवार्य वस्तु नहीं रहेगी।
इनका भंडारण होगा।
कृषि में विदेशी निवेश भी आकर्षित होगा।
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