नर्मदापुरम: मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम में एक दिलचस्प और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। 5 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के आरोपी को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई। इस घटना ने सबका ध्यान खींचा जब आरोपी ने खुद ही जज से फांसी देने की मांग की, जिसके बाद जज ने श्रीरामचरितमानस की चौपाई सुनाकर उसे सजा सुनाई।
यह घटना शोभापुर कस्बे की है, जहाँ 25 दिसंबर 2021 को 5 साल की बच्ची के साथ उसके ममेरे भाई ने दुष्कर्म किया और फिर पकड़े जाने के डर से उसकी हत्या कर दी। इस जघन्य अपराध के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया और मामले की सुनवाई नर्मदापुरम के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एसके चौबे की कोर्ट में हुई।
बुधवार को जब कोर्ट में सजा सुनाई जानी थी, एडीजे सुरेश कुमार चौबे ने आरोपी से पूछा कि क्या वह कुछ कहना चाहता है। इसके जवाब में आरोपी ने कहा कि उसे फांसी दे दी जाए। इस पर जज ने भरे कोर्ट रूम में श्रीरामचरितमानस के किष्किंधा कांड की एक चौपाई सुनाई:
“अनुज बधू भगिनी सुत नारी। सुनु सठ कन्या सम ए चारी॥
इनहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई। ताहि बधे कछु पाप न होई॥”
इसके बाद जज ने कहा, “तुम्हें तो फांसी की सजा भी कम होगी।”
चौपाई का अर्थ और संदर्भ
इस चौपाई में तुलसीदास जी कहते हैं कि भगवान राम ने बालि का वध तब किया जब उसने अनुचित दृष्टि डाली। भगवान राम ने कहा कि छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्रवधु या बेटी पर कुदृष्टि डालने वाले व्यक्ति को मारने से कोई पाप नहीं लगता। इस संदर्भ में जज ने आरोपी को उसकी जघन्य करतूत के लिए फांसी की सजा को उचित ठहराया।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी निर्दोष और अबोध बच्ची के साथ दुष्कर्म करना अपने आप में ही ‘रेयर टू रेयरेस्ट’ केस है। इस जघन्य अपराध के लिए आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई।