भोपाल। दुनियाभर के वाहनों में ईंधन के रूप में उपयोग हो रहे पेट्रोल और डीजल पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में वैज्ञानिक हाइड्रोजन को भविष्य के ईंधन के रूप में देख रहे हैं। हाइड्रोजन के उपयोग को लेकर विश्व के तमाम संस्थानों में शोधकार्य किया जा रहा है। भोपाल में स्थित मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) में एनर्जी सेंटर के तीन प्रोफेसर और एक पीचएचडी छात्र ने भी ईंधन के रूप में हाइड्रोजन गैस के उपयोग को लेकर एक वर्ष तक शोध किया।
इस अनुपात में सुरक्षित
शोध में उन्होंने पाया कि डीजल इंजन में 80 प्रतिशत डीजल के साथ 20 प्रतिशत हाइड्रोजन गैस का उपयोग किया जा सकता है। उनके अनुसार अगले पांच वर्षों में वाहनों में हाइड्रोजन का उपयोग शुरू हो जाएगा, जो वाहन चालकों के लिए सुरक्षित रहेगा। साथ ही पर्यावरण के अनुकूल होगा और इंजन को अधिक ऊर्जा भी प्रदान करेगा।
इन्होंने किया शोध
मैनिट में स्थापित एनर्जी सेंटर ने सितंबर 2023 में 25 लाख रुपये की लागत से हाइड्रोजन ईंधन के उपयोग को लेकर प्रोजेक्ट शुरू किया था। इसमें विभिन्न विभागों के प्रोफेसर डॉ. प्रशांत बारेदार, डॉ. गौरव द्विवेदी, डॉ. टिकेंद्रनाथ वर्मा और पीएचडी छात्र कौस्तुभ ने ड्युअल फ्यूल इंजन में हाइड्रोजन गैस के ईंधन के रूप में उपयोग को लेकर शोध किया।
धीरे-धीरे बढ़ाई मात्रा
डॉ. गौरव द्विवेदी ने बताया कि शुरुआत के चार महीने हमने सिर्फ डीजल के साथ हाइड्रोजन गैस की अलग-अलग मात्रा को ईंधन के रूप में जांचा। शुरुआत पांच प्रतिशत से की, इसके बाद मात्रा बढ़ाते हुए 20 प्रतिशत तक लेकर गए। आगे जब ईंधन में हाइड्रोजन की मात्रा बढ़ी तो हीटिंग की समस्या होने की आशंका हुई, जिसके बाद इंजन में 20 प्रतिशत ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का आठ माह तक उपयोग किया। चूंकि हाइड्रोजन का एनर्जी कंटेंट पेट्रोकैमिकल्स से अधिक है, इसलिए इंजन को अतिरिक्त ऊर्जा मिली और संतुलित उपयोग से इंजन में गर्मी की समस्या भी नहीं हुई। इनका शोध एक रिसर्च जर्नल में भी प्रकाशन हो चुका है इस तरह से इंजन में काम करता है हाइड्रोजन
पीएचडी स्कॉलर कौस्तुभ ने बताया कि ड्युअल फ्यूल इंजन में डीजल टैंक के साथ हाइड्रोजन सिलेंडर भी लगाया जाता है। इंजन में दोनों की सप्लाई की जाती है। इंजन को डीजल सप्लाई से चालू किया जाता है और इंजन गर्म होने पर हाइड्रोजन की सप्लाई शुरू की जाती है। इसका कितनी मात्रा में उपयोग करना है, इसे सप्लाई को रोककर कंट्रोल किया जाता है। इंजन में जिस रास्ते से एयर प्रेशर किया जाता है, उसी जगह से हाइड्रोजन की सप्लाई की जाती है।