खंडवा। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जैन तीर्थ सिद्धवरकूट की यात्रा श्रद्धालु आसानी से कर सकेंगे। दो प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र आपस में जुड़ने से पर्यटन को बढ़ावा और पर्यटकों को सुविधा होगी। लोक निर्माण विभाग के सेतु निगम ने 38 करोड़ रुपये की लागत से रोप वे (पैदल पुल) का प्रस्ताव शासन को भेजा है।
शासन से हरी झंडी के बाद विभाग को प्रशासकीय स्वीकृति का इंतजार है। करीब दो वर्ष पूर्व केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पर्वतमाला परियोजना अंतर्गत इसकी घोषणा की थी। इसके अलावा ओंकारेश्वर से सैलानी टापू को भी रोपवे से जोड़ा जाएगा।
सिंहस्थ में आने वाली भीड़ को नियंत्रित करने में भी रोपवे कारगर साबित होगा। प्रदेश के शहरी और धार्मिक पर्यटन क्षेत्रों में यातायात को सुगम बनाने और पर्यटकों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश में रोपवे निर्माण योजना शुरू की गई है।
इसके लिए केंद्रीय परिवहन मंत्री द्वारा प्रदेश के धार्मिक पर्यटन स्थल उज्जैन सहित 17 स्थानों पर रोपवे की घोषणा की थी। ओंकारेश्वर में नर्मदा-कावेरी नदी पर पुल नहीं होने से सिद्धवरकूट से ओंकारेश्वर आने-जाने वाले यात्रियों को परेशानी हो रही है।
वैसे यह दूरी मात्र दो किलोमीटर है लेकिन पुल के अभाव में लोगों को करीब 35 किलोमीटर घूमकर ओंकारेश्वर पहुंचना पड़ रहा है। नदी पर पुल बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही है लेकिन अभी किसी भी स्तर से ध्यान नहीं दिया जा रहा था। ओंकारेश्वर बांध निर्माण के समय यहां पुल बनाने का निर्णय हुआ था।
सिद्धवरकूट जैन धर्मावलंबियों का प्रमुख तीर्थस्थल है। जैन समाज के सुनील जैन ने बताया कि पूरे देश से हजारों जैन समाज के लोग ओंकारेश्वर आते हैं। यहां नर्मदा स्नान और दर्शन के पश्चात श्रद्धालु बांध के रास्ते सिद्धवरकूट पहुंच सकते है, लेकिन ओंकारेश्वर बांध के रास्ते सिद्धवरकूट जाने वाले यात्रियों को अनुमति जरूरी है। ऐसे में लोगों को मोरटक्का, बड़वाह होते हुए करीब 35 किलोमीटर घूमकर सिद्धवरकूट पहुंचना पड़ता है।
श्रद्धालुओं के अलावा सिद्घवरकूट, बखतगढ़, सैलानी के ग्रामीण और विद्यार्थी पढ़ाई के लिए ओंकारेश्वर आवाजाही करते है। पुल के अभाव में नर्मदा-कावेरी नदी नाव से पार कर ओंकारेश्वर पहुंचना पड़ता है। वर्षा काल में समस्या और खतरा बढ़ जाता है रोपवे लगने से ग्रामीणों को भी आवाजाही में सुविधा होगी।