भोपाल। साल 2024 साइबर ठगों के नाम रहा. नई और तेजी से बदलती हुई तकनीक का इस्तेमाल करते हुए इन जालसाजों ने सिर्फ भोपाल में ही आम लोगों को 60 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया. इसके लिए बदमाशों ने 40 अलग-अलग तरीकों का उपयोग किया. एआई टेक्नोलॉजी के बाजार में आते ही उसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. पुलिस ने भी माना कि साइबर क्राइम बढ़ा है और नए साल में साइबर अपराधों को कम करना बड़ी चुनौती है.
ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की बात होती है तो यूपीआई को सबसे सेफ माना जाता है. इसे सरकार ने खुद प्रमोट भी किया लेकिन इसके बावजूद भोपाल में सबसे ज्यादा 1101 मामलों में यूपीआई के जरिए ठगी को अंजाम दिया गया. वहीं डिजिटल अरेस्ट के मामले भी काफी ज्यादा बढ़े. दूसरी तरफ ओटीपी पूछ कर ठगी को अंजाम देना, रिश्तेदार बनकर या किसी रिश्तेदार के बड़े अपराध में फंसने की धमकी देकर भी आम लोगों से मोटी रकम वसूली गई. कुल मिलाकर 53 डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आए.
हर चुनौती के लिए हम तैयार: पुलिस
साइबर ठग टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल करना जानते हैं और हर 4 से 5 महीने में अपने क्राइम करने के तरीके को बदल देते हैं. भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र ने कहा कि साइबर क्राइम की संख्या बढ़ी है बाकी सारे अपराधों में कमी आई है।. यह बढ़ने का कारण यह है कि हम तकनीक बहुत अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं. 1 दिसंबर 2024 से हमने सभी थानों में साइबर डेस्क शुरू कर दी है. इस दौरान साइबर फ्रॉड को अंजाम देने वाले कई बड़े गैंग्स पकड़े गए हैं जो दूसरे राज्यों से भी ऑपरेट कर रहे थे. खास तरीके के क्राइम करने के तरीकों को चिन्हित किया गया है. पुलिस लोगों को जागरूक करने का भी काम कर रही है. पुलिस के लिए चुनौती बढ़ी है लेकिन हम इसका सामना करने के लिए तैयार हैं.
इन तरीकों से ठगी को दिया गया अंजाम
राजधानी भोपाल में साल 2024 में अगर साइबर ठगी के तरीकों को देखा जाए तो सबसे ज्यादा 1101 मामलों में यूपीआई एप के जरिए ठगी की गई. वहीं कॉल फ्रॉड के मामले 615 , अनजाने ट्रांजैक्शन के 481 मामले. नकली खरीदी के 338 के प्रकरण सामने आए. रिश्तेदारियों के नाम पर ठगी के 314, टास्क फ्रेड 292, इन्वेस्टमेंट के नाम पर 260, जॉब दिलाने के नाम पर 151 लोगों से ठगी और लोन एप्स के जरिए 171 लोगों को चूना लगाया.