भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने (12 मार्च) को घोषणा की कि राज्य की समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है, क्योंकि इसके चार स्थलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने के लिए संभावित सूची में स्थान मिला है। पिछले सप्ताह मध्य प्रदेश के चार स्थलों समेत भारत के कुल छह ऐतिहासिक स्थलों को यूनेस्को की संभावित सूची में जगह दी गई है।
सीएम मोहन यादव ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राज्य ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर बढ़ावा देने में एक और महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। इसमें अशोक शिलालेख स्थल, चौंसठ योगिनी मंदिर, गुप्त काल के मंदिर और बुंदेलों के किलों को यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल किया गया है, जो भारत के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिदृश्य में मध्य प्रदेश की अनूठी भूमिका को प्रदर्शित करता है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा, “यह सम्मान राज्य की अमूल्य धरोहर को संरक्षित करने की हमारी प्रतिबद्धता को सिद्ध करता है। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष भी यूनेस्को ने मध्य प्रदेश के छह और स्थलों को अपनी संभावित सूची में शामिल किया था, जिनमें ग्वालियर किला, बुरहानपुर का खूनी भंडारा, चंबल घाटी के रॉक आर्ट साइट्स, भोजपुर का भोजेश्वर महादेव मंदिर, मंडला के रामनगर के गोंड स्मारक और धामनार का ऐतिहासिक स्थल शामिल हैं।
मध्य प्रदेश के मान्यता प्राप्त विरासत स्थल
यूनेस्को के इस निर्णय के बाद अब मध्य प्रदेश में मान्यता प्राप्त विरासत स्थलों की कुल संख्या 18 हो गई है। इसमें तीन स्थायी सूची में हैं (खजुराहो मंदिर समूह, भीमबेटका रॉक शेल्टर और सांची के बौद्ध स्मारक) और 15 स्थलों को संभावित सूची में रखा गया है। संभावित सूची में अन्य स्थलों में मांडू के स्मारक, ओरछा का ऐतिहासिक समूह, नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लमेटाघाट, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और भारत का प्रसिद्ध साड़ी बुनाई समूह चंदेरी भी शामिल हैं।
सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यह सम्मान राज्य की विरासत संरक्षण और सतत पर्यटन के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। उन्होंने मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड, संस्कृति विभाग, पुरातत्वविदों, इतिहास प्रेमियों, संगठनों और नागरिकों को बधाई दी, जिन्होंने राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
सांस्कृतिक विरासत के लिए एकजुटता की अपील
मुख्यमंत्री ने मध्य प्रदेश के नागरिकों से इन ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा के लिए एकजुट होने की अपील की, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य का सांस्कृतिक गौरव वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर और अधिक बढ़े।
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