राजस्थान | अमूमन ऑयल कंपनियां हर महीने की पहली तारीख काे रसाेई गैस की कीमताें में संशाेधन करती है। इस बार कुछ अलग हुआ। दाे दिसंबर काे घरेलू गैस सिलेंडर के दाम 50 रुपए बढ़ाए गए। दाे सप्ताह बाद कंपनियाें ने गैस सिलेंडर के दाम फिर 50 रुपए बढ़ा दिए। यानी 21 दिन में सिलेंडर की कीमत में 100 रुपए का इजाफा हाे गया। ऐसे में बीकानेर के घरेलू उपभाेक्ताओं काे जाे सिलेंडर एक दिसंबर से पहले 607 रुपए में मिलता था। वह अब 707 रुपए में मिलने लगा है।
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बढ़ती महंगाई के दाैर में रसाेई गैस सिलेंडर के दाम बढ़ने से आमजन परेशान है। वहीं गृहणियों काे रसाेई के बजट काे लेकर चिंता सताने लगी है। इसकी बड़ी वजह यह भी है कि सर्दी में गैस की खपत बढ़ जाती है। रसाेई का सिलेंडर तय समय से कम चलता है। लाेग गर्म पानी के लिए गैस गीजर का उपयाेग बिजली के गीजर से ज्यादा करते हैं, क्याेंकि बिजली गैस की तुलना में काफी ज्यादा महंगा पड़ती है।
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औसत अंतरराष्ट्रीय बैंचमार्क दर और विदेशी मुद्रा के एक्सचेंज रेट के हिसाब से एलपीजी सिलेंडर के दाम तय होते हैं। इसी वजह से एलपीजी सिलेंडर की सब्सिडी की रकम में भी हर महीने बदलाव होता है। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव बढ़ते हैं तो सरकार अधिक सब्सिडी देती है। जब दरें नीचे आती हैं तो सब्सिडी में कटौती की जाती है। टैक्स नियमों के अनुसार रसोई गैस पर माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की गणना ईंधन के बाजार मूल्य पर ही तय की जाती है।
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कुछ महीनों में खाद्य तेल भी काफी महंगे हो गए हैं। नवंबर से अब तक रिफाइंड सोयाबीन तेल की कीमत 10 प्रतिशत से ज्यादा और सरसों आदि तेल के भाव 23 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। व्यापारियाें के मुताबिक, सोयाबीन का घरेलू उत्पादन घटने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम ऑयल के दाम बेतहाशा बढ़ने से ऐसे हालात पैदा हुए हैं। लगातार महंगाई से आम आदमी का बजट गड़बड़ा गया है। व्यापारियों का मानना है कि अभी महंगाई से जल्द राहत नहीं मिलने वाली है।
चाय पर भी महंगाई का रंग चढ़ गया है। एक किलो चाय के दामों में एक माह में 70 से 100 रुपए प्रति किलाे की दर से तेजी आई है। खुली चाय और पैकेट बंद चाय के दाम बढ़ गए हैं। वजह अप्रैल और मई में कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन तथा असम में भारी बारिश से चाय की फसल को नुकसान पहुंचा है। इससे चाय के उत्पादन में भारी गिरावट आई है और दाम बढ़ गए।
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