भोपाल | अपने बयानों और अजब राजनीतिक शैली के चलते चर्चित मंत्री इमरती देवी को सरकारी मकान खाली करने का नोटिस देने वाले लोनिवि के कार्यपालन अभियंता का खुद का सरकारी मकान व नौकरी का ठिकाना भले छिन गया हो लेकिन इस मामले में उक्त अफसर पर भी ‘ऊपर के दबाव की कहानी सामने आ रही है। बताया जाता है कि उन्हें ऐसा नोटिस जारी करने केलिये ‘कहा गया था। बहरहाल सरकार ने बंगला खाली करने के नोटिस को चूक मानते हुए संशोधित आदेश जारी किया है।
“ऊपर” से आया फोन तो जारी हुआ इमरती देवी को नोटिस!
माना जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे की सिपहसालार इमरती देवी के गुस्से के चलते सरकार को यह कार्यवाही करना पडी है। दरअसल दो दिन पहले इमरती देवी को ग्वालियर में लोनिवि की ओर से बंगला खाली करने का नोटिस भेजा गया था।अफसर से तकनीकी चूक यह हो गई कि वह मंत्री को ‘पूर्व मान बैठा,जबकि अभी इमरती देवी का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है। लिहाजा अब इमरती देवी आवंटित सरकारी बंगले में ही रहेंगी।उधर कार्यपालन यंत्री ओमहरि शर्मा को ग्वालियर से भोपाल भेजते हुए उन्हें मैदानी पदस्थापना कबजाए ईएनसी ऑफिस में पदस्थ किया गया है।
सरकार ने मौजूदा मंत्री को सीधे नोटिस जारी करने की चूक को गंभीरता से लिया है। हालांकि शर्मा ने इसे दुरूस्त कर नोटिस निरस्त भी किया था लेकिन तब तक देर हो गई। भाजपा सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी उपचुनाव में चुनाव हार चुकी हैं। मुख्यमंत्री को भेजा गया उनका इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है।
जब तक इस्तीफा स्वीकार नहीं हो जाता है तब तक इमरती देवी के पास महिला एवं बाल विकास मंत्री का पद रहेगा। ज्ञात हो कि उन्हें ग्वालियर में ४४ नंबर का बंगाला आवंटित है। नोटिस में लिखा गया था कि आपके पास कोई पद नहीं होने के कारण आवास खाली कर लोक निर्माण विभाग को अधिपत्य सौंपें।बताया जाता है कि इमरती देवी ने इसकी शिकायत सीएम चौहान से की थी। हालांकि यह कहानी उतनी भी सरल नहीं मानी जा रही है जैसी दिख रही है।
जानकार बताते हैं कि ईई ओम हरि शर्मा के पास एक वरिष्ठ अफसर का फोन पहुंचा था जिसमें इमरती देवी, विधायक लाखन सिंह और भाजपा नेता प्रभात झा के बंगले खाली कराने के लिए नोटिस जारी करने की बात कही गई थी। शर्मा ने निर्देश का पालन कर नोटिस जारी किए और कुछ देर बाद मंत्री को जारी नोटिस की भूल भी सुधारी लेकिन देर हो गई।
बताया जाता है कि शिवपुरी के पोहरी से उपचुनाव में कांग्रेस से लडकर हारने वाले हरिवल्लभ शुल्क़ कार्यपालन यंत्री के समधी हैं। वहीं एक मौजूदा मंत्री भी कार्यपालन यंत्री से नाराज हैं। ओमहरि शर्मा पर निलंबन तक की कार्रवाई हो सकती थी लेकिन जिले के अफसरों ने भोपाल स्तर तक दखल दिया तब उनका अटैचमेंट हुआ
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