ग्वालियर :- ग्वालियर की पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता के पुनः भाजपा में शामिल होने से ग्वालियर दक्षिण के पूर्व विधायक व पूर्व कैबिनेट मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा को जबरदस्त राजनीतिक धक्का लगा है। समीक्षा गुप्ता के 2018 में भाजपा से बागी होने और निर्दलीय चुनाव लड़ने से नारायण सिंह कुशवाह महज डेढ़ सौ वोटों से हार गए थे। नारायण सिंह कुशवाहा व उनके समर्थकों को अब लग रहा है कि पार्टी नेतृत्व समीक्षा गुप्ता को आगे बढ़ाएगा और अगले चुनाव में समीक्षा को टिकट मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
इधर, पार्टी सांसद और वरिष्ठ भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने सैकड़ों समर्थकों के भाजपा में आने से भाजपा के मूल कार्यकर्ता स्वयं को अलग-थलग समझने लगे हैं। अभी 3 दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीडी शर्मा ग्वालियर में रहे और सिंधिया समर्थकों से घिरे रहे। बेचारे पुराने भाजपाई अपने-अपने घरों में मुंह लटकाए बैठे रहें। किसी ने उन्हें पूछा तक नहीं। इनमें जयसिंह कुशवाह, देवेश शर्मा, रामेश्वर भदौरिया, धीरज सिंह तोमर और अरुण तोमर जैसे नेता शामिल थे।
नगर निगम के पूर्व सभापति और वरिष्ठ भाजपा नेता बृजेंद्र सिंह जादौन लालजी भी नहीं इस नए दौर कि भाजपा में गुम होते जा रहें स्थानीय नेताओं में हैं। हालांकि, सिंधिया जी के साथ खड़े होकर फोटो खिंचवा कर वह गौरवान्तिक महसूस कर रहें थे कि सिंधिया जी उन्हें जानते हैं और उन्हें महत्त्व भी दिया। लेकिन इस कड़वी सच्चाई से राजनीतिक जगत परिचित है कि पद बंटने के दौरान बड़े नेता अपने समर्थकों को ही पूछता है। अनूप मिश्रा को यदि जौरा से विधानसभा टिकट नहीं मिलता है तो भाजपा में उनकी स्थिति भी गुमनाम हो जाएगी। जयभान सिंह पवैया और प्रभात झा की भी यही स्थिति हो रही है।