गुना। गुना जिले में पहले एक सीट थी, लेकिन 2008 में के बाद गुना और बमोरी को अलग अलग विधानसभा सीट कर दिया गया। इसी बमोरी सीट पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार और पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया का मुकाबला कांग्रेस के कन्हैयालाल अग्रवाल से है।
कन्हैयालाल अग्रवाल 2013 में बीजेपी सरकार के मंत्री रह चुके है। बमोरी छेत्र में दलबदल कर चुके बीजेपी और कांग्रेसी नेताओ को कठनाईयो का सामना करना पढ़ सकता है। क्योकि 2 लाख के मतदाताओं वाले इस छेत्र में दलबदल का मुद्दा और मुद्दों से ज्यादा प्रतिष्ठा रखता है।
2008 में बमोरी नै विधानसभा सीट बानी
हम आपको बता दे कांग्रेस के कैलाश शर्मा से 46 हज़ार वोटों से के.एल. अग्रवाल को 2003 में जीत हासिल हुई थी। के.एल. अग्रवाल को इससे पहले 3 बार हार का सामना करना पढ़ा था। महेंद्र सिंह सिसोदिया से पिछले 2 चुनाव में बड़े अंतर् से हार का सामना हुआ था। 2008 एम् बमोरी नै विधानसभा सीट बानी। जिसके बाद बमोरी में जो पहला चुनाव हुआ, उसमे बीजेपी से कन्हैयालाल अग्रवाल ने कांग्रेस के महेंद्र सिंह सिसोदिया को 4778 वोटों से हरा दिया था।
2013 में कन्हैयालाल अग्रवाल को महेंद्र सिसोदिया ने 18561 वोटों से शिकस्त दे दी। फिर बीजेपी ने 2018 में बृजमोहन आजाद को तो कांग्रेस ने महेंद्र सिंह सिसोदिया को टिकट दिया। लेकिन कुछ समय बाद के.एल.अग्रवाल निर्दलीय मैदान में उतरे और 28488 वोट ले गए। इससे सिसोदिया को फायदा मिला और वे 27920 वोटों से जीत गए।
सिसोदिया फरवरी 2020 तक कांग्रेस में रहे, सिंधिया के साथ बीजेपी में आये
दलबदल : 2018 में निर्दलीय उतरे और जुलाई 2020 में कांग्रेस का दामन थामने वाले अग्रवाल को लेकर दलबदल की चर्चा है तो यही बात सिसोदिया के लिए भी सामने आ रही है। सिसोदिया फरवरी 2020 तक कांग्रेस में रहे और फिर सिंधिया के साथ भाजपा के हो गए।
जानिए रोचक तथ्य –
रोचक तथ्य यह है कि कन्हैया को दिग्विजय सिंह का करीबी और सिसोदिया को ज्योतिरादित्य सिंधिया (Scindia) का खास माना जाता है। जनता में चर्चा इस बात की है कि क्या सिंधिया (Scindia) की सीट में दिग्विजय सेंध लगाएंगे या दिग्विजय के गढ़ में एक सीट के साथ सिंधिया (Scindia) अपना दखल बरकरार रखेंगे।
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