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Friday, October 11, 2024

बीजेपी विधायक ब्रज बिहारी पटेरिया की नाराजगी दूर, इस्तीफे की पेशकश के बाद वापस लिया

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सागर। मध्य प्रदेश के सागर जिले के देवरी से बीजेपी विधायक बृज बिहारी पटेरिया ने हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंपा। यह कदम उस समय उठाया गया जब वे पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए केसली थाना परिसर में धरने पर बैठे थे। उनका कहना था कि FIR न दर्ज होने के कारण पीड़ित पक्ष को न्याय नहीं मिल रहा था, जिससे वे व्यथित और आहत महसूस कर रहे थे। पटेरिया ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा, “मैं पीड़ित पक्ष के संदर्भ में थाना केसली में उपस्थित हुआ। FIR दर्ज नहीं होने से पीड़ित पक्ष के साथ न्याय न होने के कारण मैं आहत हूँ। अतः विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूँ।” उनके इस कदम ने न केवल उनके क्षेत्र के लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि यह भी सवाल उठाया कि क्या सरकार अपने विधायकों और जनता की समस्याओं को गंभीरता से ले रही है।

इस घटना का संबंध एक स्थानीय युवक, रोहित यादव के दादा की मृत्यु से है, जो सांप के काटने के कारण हुई। पीड़ित परिवार ने डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जिसने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सर्पदंश लिखने के लिए रिश्वत मांगी थी। इस मुद्दे को लेकर विधायक पटेरिया ने धरना दिया और FIR दर्ज कराने की मांग की।

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वहीं, पूर्व मंत्री और सीनियर विधायक गोपाल भार्गव ने पटेरिया को मनाने के लिए केसली थाना का दौरा किया। उन्होंने पुलिस प्रशासन से कार्रवाई की मांग की, लेकिन उनकी भी सुनवाई नहीं हुई। भार्गव ने सोशल मीडिया पर इस मामले की जानकारी साझा करते हुए कहा कि शासकीय कर्मचारियों ने मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए पैसे मांगे, जो एक गंभीर विषय है। देर रात पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ FIR दर्ज किया, जिसके बाद पटेरिया ने कहा कि उनका इस्तीफा एक दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय था और उन्होंने गुस्से में यह कदम उठाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब इस्तीफे का कोई विषय नहीं है और वे संगठन और सरकार के साथ हैं। मुख्यमंत्री के आदेश का पालन करने का उनका आश्वासन यह दिखाता है कि वह अपनी पार्टी के साथ हैं और न्याय की मांग जारी रखेंगे।

बृज बिहारी पटेरिया का इस्तीफा और उसके पीछे की घटनाएँ न केवल व्यक्तिगत आक्रोश का परिणाम हैं, बल्कि यह बताती हैं कि मध्य प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर आम जनता और राजनीतिक प्रतिनिधियों के बीच गहरा असंतोष है। यह घटना यह भी दर्शाती है कि यदि सरकार ने तत्काल प्रभाव से स्थिति को नहीं संभाला, तो यह न केवल पार्टी के लिए बल्कि पूरे प्रदेश के लिए बड़ा संकट बन सकता है।

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