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पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का निधन, 95 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

देश के पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता नटवर सिंह (Natwar Singh) का 95 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है. वह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे, जहां उनका इलाज चल रहा था. वह लंबे समय से बीमार थे. नटवर सिंह के निधन पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने और कई केंद्रीय मंत्रियों ने निधन पर अपनी संवेदना व्यक्त की है.

नटवर सिंह राजस्थान के भरतपुर जिले के रहने वाले थे. इन्होंने अजमेर के इलीट मेयो कॉलेज और ग्वालियर के सिंधिया कॉलेज से पढ़ाई की. साथ ही उनकी उच्च शिक्षा सेंट स्टीफंस कॉलेज से हुई बाद में वह इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पढ़ाई की. इनके पिता राजदरबार में अहम पद पर कार्यरत थे. 1953 में नटवर सिंह को भारतीय विदेश सेवा (IFS) के लिए चुना गया और 31 साल तक उन्होंने सेवाएं दी. उन्होंने चीन, न्यूयॉर्क, पोलैंड, इंग्लैंड, पाकिस्तान, जमैका और जाम्बिया सहित कई देशों में सेवा की. इसके बाद 1984 में विदेश सेवा से इस्तीफा देने के बाद वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. उसी साल नटवर सिंह लोकसभा चुनाव लड़ा और उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया.

नटवर सिंह एक भारतीय राजनयिक और राजनीतिज्ञ थे
1953 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए थे
यूनिसेफ के कार्यकारी बोर्ड में भारत के प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया
1963 से 1966 के बीच कई संयुक्त राष्ट्र समितियों में काम किया
1966 में इंदिरा गांधी के अधीन प्रधानमंत्री सचिवालय में तैनात किया गया
नटवर सिंह 1971 से 1973 तक पोलैंड में भारत के राजदूत रहे थे
1980 से 1982 तक पाकिस्तान में भारत के राजदूत के रूप में कार्य किया
नटवर सिंह ने विदेश मंत्रालय में सचिव के रूप में कार्य किया है
साल 1984 में पद्म भूषण पुरस्कार से हुए थे सम्मानित

नटवर सिंह ने 2004 से 2005 तक भारत के विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया। उनके विदेश मंत्री बनने से पहले और बाद में उनकी राजनीतिक और प्रशासनिक गतिविधियां भी महत्वपूर्ण रही हैं।

विदेश मंत्री का कार्यकाल…
कार्यकाल: 22 मई 2004 – 30 नवंबर 2005
प्रधानमंत्री: डॉ. मनमोहन सिंह
नटवर सिंह को 2004 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए (यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस) सरकार के गठन के बाद विदेश मंत्री बनाया गया।

नीतिगत प्राथमिकताएँ
वैश्विक संबंध: उनके विदेश मंत्री बनने के बाद, उन्होंने भारत के वैश्विक संबंधों को सुदृढ़ करने पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने विशेष रूप से अमेरिका, पाकिस्तान और यूरोपीय संघ के साथ संबंधों को प्राथमिकता दी।
सामरिक और कूटनीतिक पहल: उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कई पहल की, जिसमें परमाणु संधि पर बातचीत शामिल थी।
आर्थिक और व्यापारिक सहयोग: उन्होंने आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय प्रयास किए।

विवाद और आलोचना-
तेलगी घोटाला: उनके कार्यकाल के दौरान एक महत्वपूर्ण विवाद “तेलगी घोटाला” के रूप में उभरा। यह घोटाला उनके परिवार के सदस्यों और पार्टी के सहयोगियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और काले धन के लेन-देन से जुड़ा था।
विदेश मंत्री से हटना: इन विवादों के कारण, उन्हें 2005 में इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद, उनके खिलाफ पार्टी और सरकार ने कई कार्रवाई की और उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया।

पार्टी में बदलाव…
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से विदाई, नटवर सिंह के इस्तीफे और विवादों के बाद, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और स्वतंत्र रूप से राजनीतिक गतिविधियां जारी रखीं।

विदेश मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के बाद, नटवर सिंह ने अपनी आत्मकथा “सपनों की संसद” और अन्य राजनीतिक किताबें लिखी, जिसमें उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा और अनुभवों को साझा किया।

 

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