कुछ दिनों पहले CAG ने प्रदेश विधानसभा में अपनी जांच रिपोर्ट पेश की थी. CAG, जिसे नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक कहते हैं, जो देश की एक स्वतंत्र जांच संस्था है. इस रिपोर्ट में प्रदेश सरकार का पूरा लेखा-जोखा सामने आया है. CAG की रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि मुरैना और श्योपुर कलेक्टर ने सहायक ग्रेड-3 के पदों पर अवैध नियुक्तियां की, जिससे लगभग 76.12 लाख रुपये का अनियमित व्यय हुआ है.
20 पदों पर अवैध नियुक्तियों की पोल खुली
CAG की रिपोर्ट में सामने आया कि जनवरी 2016 से मार्च 2018 के बीच मुरैना और श्योपुर जिले के कलेक्टरों ने अलग-अलग अवधि में कर्मचारियों की अवैध भर्ती की थी. तत्कालीन मुरैना कलेक्टर विनोद शर्मा और श्योपुर कलेक्टर विनोद सोलंकी ने सहायक ग्रेड-3 और सेवा कर्मचारियों के 20 पदों पर अवैध नियुक्तियां की थी. ये भर्तियां नियमों को ताक पर रख कर की गई थी. यहां वेतन एवं भत्तों के रूप में लगभग 76.12 लाख रुपये का खर्च किया गया, जिसकी आधिकारिक जानकारी कलेक्ट्रेट कार्यालय के पास नहीं मिली है.
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के पैसे अधिकारियों के खाते में
CAG ने बीते 21 सितम्बर को विधानसभा सदन में अपनी जांच रिपोर्ट पेश की थी. रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2014 से 2016 के बीच भोपाल और रायसेन के परियोजना अधिकारियों ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ और सहायिकाओं को मिलने वाले मानदेय में 3.19 करोड़ रुपए को डाटा एंट्री ऑपरेटर और कंप्यूटर ऑपरेटरों के खाते में जमा करा दिए. ऐसे 89 खातों की जानकारी CAG की रिपोर्ट में सामने आयी थी।
CAG क्या है?
भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक, जिसे अंग्रेजी में comptroller and Auditor general of India कहते है. यह एक स्वतंत्र संस्था और इसके अधिकारियों और अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. यह संस्था देश में राष्ट्रपति और राज्य में राज्यपाल को अपनी जांच रिपोर्ट भेजती है. CAG प्रमुख का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है, इस कार्यकाल से पहले अगर वे 65 वर्ष की उम्र पार कर लेते है तो उनका कार्यकाल समाप्त हो जाता है. वर्तमान में CAG का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है और गिरीश चंद्र मूर्मू इसके 14वें नियंत्रक के रूप में काम कर रहे है।
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