मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने रीवा जिले के फसल ऋण माफी योजना के नोडल ऑफिसर को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता के फसल ऋण माफी योजना के आवेदन का 30 दिन में निराकरण किया जाए।
इस निर्देश के साथ न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ ने याचिका का निराकरण कर दिया गया है। रीवा जिले के लक्षमणपुर निवासी रमेश शुक्ला की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि प्रदेश सरकार ने 18 दिसंबर, 2018 को किसानों के दो लाख रुपये के ऋण माफ करने की घोषणा की थी।
उनके पिता समयलाल शुक्ला ने ऋण माफी के लिए आवेदन दिया था। इस बीच उनके पिता की मृत्यु हो गई। इसके बाद बैंक ने ऋण वसूली के लिए नोटिस भेज दिया। हाई कोर्ट विधिक सहायता केंद्र द्वारा इस मामले को अधिवक्ता सत्येंद्र जैन को सौंपा गया। याचिकाकर्ता की ओर से श्री जैन ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के पिता फसल ऋण माफी योजना का लाभ लेने के लिए पूरी पात्रता रखते है।
उन्होंने ऋण माफी के नोडल ऑफिसर के समक्ष विधिवत आवेदन भी दिया था, लेकिन उन्हें योजना का लाभ नहीं दिया गया। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने नोडल ऑफिसर को फसल ऋण माफी योजना के आवेदन का 30 दिन में निराकरण करने का निर्देश दिया है।
अधिवक्ताओं ने दूसरे दिन भी डीजे कोर्ट का बहिष्कार किया : जिला अदालत के वकीलों ने शुक्रवार, पांच फरवरी को जिला सत्र न्यायाधीश (डीजे) कोर्ट का बहिष्कार किया था। इसी क्रम में शनिवार, छह फरवरी को बहिष्कार किया गया। जिला बार अध्यक्ष सुधीर नायक व सचिव राजेश तिवारी ने बताया कि डीजे का व्यवहार वकीलों के प्रति अनुचति है।
यही नहीं उनके द्वारा जिला अदालत की समस्याएं दूर करने के प्रति भी गंभीरतापूर्वक रुचि नहीं ली जा रही है। इसीलिए वकील आक्रोशित हो गए हैं। वकीलों की मांग है कि डीजे को स्थानांतरित किया जाए।
यदि यह मांग पूर्ण नहीं होती तो वकील अनिश्चितकालीन आंदोलन भी कर सकते हैं। इस सिलसिले में हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश व रजिस्ट्रार जनरल सहित अन्य को शिकायत सौंपी जा चुकी है।