कोरोना महामारी को रोकने का हथियार वैक्सीनेशन है, यह बात अब लोगों के मन मस्तिष्क में घर करने लगी है. टीकाकरण को लेकर जागरुकता सिर्फ शहरी ही नहीं बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी बढ़ रही है. इसके प्रमाण भी सामने आने लगे है. कई ग्राम पंचायतों का तो शत-प्रतिशत टीकाकरण ही हो चुका है. राज्य में टीकाकरण का अभियान जोर-शोर से चल रहा है. अब तक दो करोड़ से ज्यादा लोगों को टीके लग चुके है. टीकाकरण का अभियान जारी है. ग्रामीण इलाकों में टीकाकरण की शुरुआत में कई तरह की समस्याओं का प्रशासन और टीकाकरण के काम में लगे लोगों को करना पड़ा. कई स्थानों पर तो टीकाकरण दल के साथ दुर्व्यवहार तक होने की स्थितियां सामने आई.
ग्रामीणों के बीच व्याप्त भ्रम को खत्म करना लोगों के सामने चुनौती था क्योंकि उन्हें लगता था कि टीकाकरण से जान तक जा सकती है, नपुंसक हो सकते है. इन स्थितियों से निपटने के लिए जिले स्तर पर अलग-अलग तरह से रणनीति बनाकर उस पर अमल किया गया. बैतूल में तो आदिवासियों के पुजारियों को आगे कर लोगों को यह बताया गया कि टीकाकरण ही कोरोना से बचाव का एक मात्र हथियार है और जो भ्रांतियां है वह गलत है. इस कोशिश का असर हुआ और आदिवासियों ने टीके लगवाए. टीकाकरण का अभियान बढ़ने के साथ ग्रामीण इलाकों के लोगों में जागृति लाने के लिए की गई कोशिशों के नतीजे सामने आने लगे. जबलपुर जिले में तो ग्रामीण इलाकों से टीकाकरण के आंकड़े जो सामने आए है वह प्रशासन और सरकार को राहत देने वाले है. यहां की 33 ग्राम पंचायतों में शत-प्रतिशत टीकाकरण हेा चुका है. इस जिले के ग्रामीण इलाकों में तो लक्ष्य से भी अधिक टीकाकरण हेा चुका है.
जबलपुर के जिलाधिकारी ने गांव के लोगों में आई जागरुकता सकारात्मक सोच का नतीजा बताते हुए कहा स्वास्थ्य, राजस्व और ग्रामीण विकास विभाग सहित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधियों तथा ग्राम आपदा प्रबंधन समिति के सदस्यों के प्रयास और गांव वालों के आगे आने से संभव हो पाया है. इसी तरह शहडोल जिले की जमुई ग्राम पंचायत भी सौ प्रतिशत टीकाकृत हो चुकी हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीनेशन एक सशक्त उपाय है. इस संजीवनी का उपयोग शहडोल जिले के जमुई ग्रामवासियों की तरह प्रदेश की हर ग्राम पंचायत को करने की जरूरत है.