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MP विधानसभा में तीन बार भिड़ चुके है पवैया-प्रद्युम्न अब साथ में मांग रहे हैं वोट

ग्वालियर. किसी जमाने में राजनीतिक दुश्मन कहे जाने वाले जयभान सिंह पवैया (Jaibhan Singh Powaiya) और प्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradhuman Singh Tomar) आज एक साथ नज़र आ रहे हैं. पवैया ने ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र में प्रद्युम्न सिंह तोमर के लिए चुनाव प्रचार किया. गौरतलब है कि प्रद्युम्न के सिंधिया का खास सिपहसालार होने और पवैया के ज्योतिराधित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का कट्टर विरोधी होने के चलते दोनों में राजनीतिक दुश्मनी चली आ रही थी. यही वजह है कि दो सियासी दुश्मन साथ आए तो लोग देखते रह गए. 

जयभान सिंह पवैया ने महा जनसम्पर्क चलाया. पवैया ने किला गेट से हजीरा चौराहा तक रैली निकाली. इस रैली में ग्वालियर विधानसभा सीट के BJP प्रत्याशी और कैबिनेट मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर पवैया के साथ थे. पवैया और प्रधुम्न सिंह को साथ देख लोग भी हैरान रह गए. रैली में लोगों ने पवैया का जोरदार स्वागत किया. पवैया ने लोगों से भाजपा को जिताने की अपील की. पवैया ने कहा कि राज्य और केन्द सरकार की योजनाओं के बल पर भाजपा भारी बहुमत से जीत दर्ज करेगी| 

ग्वालियर विधान सभा सीट पर साल 2008 में BJP ने जयभान सिंह को टिकट दिया था, तो कांग्रेस ने प्रद्युम्न को मैदान उतारा था. नजदीकी मुकाबले में प्रधुम्न ने पवैया को 2090 वोट हराया था. फिर, 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकिट पर प्रद्युम्न फिर से मैदान में उतरे तो वहीं बीजेपी ने जयभान सिंह पवैया को लड़ाया. इस मुकाबले में जयभान पवैया ने प्रद्युम्न को 15561 वोट पटखनी दी. 2018 विधानसभा चुनाव में पवैया और प्रद्युम्न के बीच मुकाबला हुआ. प्रद्युम्न सिंह ने इस मुकाबले में 21044 हज़ार वोट से जीत दर्ज की| 

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दरअसल, जयभान सिंह पवैया ने राम मंदिर आंदोलन से देश में पहचान बनाई है. साल 1998 में BJP ने पवैया को ग्वालियर सीट पर माधवराव सिंधिया के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ाया था. पवैया ने इस चुनाव को सामंतवाद बनाम देशप्रेमी की लड़ाई बना दिया था. पवैया ने सिंधिया के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. चुनावी हालात कुछ इस तरह बने की माधवराव सिंधिया बमुश्किल 28 हज़ार वोट से चुनाव जीत पाए. बाद में 1999 के मध्यावधि लोकसभा चुनाव में माधवराव गुना सीट से लड़े. पवैया ग्वालियर सीट से चुनाव जीतकर सांसद बने थे. 2014 में पवैया ने गुना लोकसभा सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़ा,  जिसमे पवैया को एक लाख 20 हज़ार वोट से हार का सामना करना पड़ा था. प्रद्युम्न सिंह तोमर ने माधवराव से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के चुनावों में पवैया के खिलाफ पुरजोर प्रचार किया था. यही वजह है कि प्रद्युम्न से पवैया की राजनीतिक अदावत चली आ रही थी. लेकिन अब दोनों एक ही पार्टी में हैं. जानकार मानते है कि पवैया प्रद्युम्न के दल तो मिल गए है, लेकिन दिल मिलना आसान नहीं ह|

 
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