भोपाल। राजधानी में पिछले कुछ दिनों से कोरोना (Corona) की रफ़्तार धीमी जरूर हुई है, लेकिन यह कभी भी पलटवार कर सकता है। इसलिए आमजन पूरी सावधानी रखें हुए है, लेकिन प्रशासन लापरवाह हो गया है। भोपाल में कोरोना (Corona) संक्रमण रोकने के लिए जांच बढ़ाई जा रही है। लेकिन इसके लिए शहर में जो 50 से ज्यादा फीवर लीनिक खोले गए हैं उनके हालत बेहद गंभीर हैं।
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बिना जांच करवाए लौटना पड़ता है घर
लोगों को सुविधा की जगह परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि दिनभर खुले रहने वाले इन फीवर क्लिनिक में दोपहर के बाद कोई होता ही नहीं है। लंच के बाद यह क्लिनिक लगभग वीरान होते हैं। कई बार घंटों खड़े रहने के बाद मायूस होकर लौटना पड़ता है। कई जगह तो हालत ऐसे है कि अगर मरीज को बुखार आ रहा है तो उसे जांच के लिए अगले दिन आने के लिए ये कहे कर वापस भेज दिया जाता है कि अभी कोई डॉटर नहीं है।
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12 घंटे खुलता है फीवर क्लिनिक
इसके अलावा कई जगह लंबी-लंबी लाइन होती है। ऐसे में मरीज के साथ आया व्यक्ति लाइन में घंटों खड़ा रहकर नंबर आने का इंतजार करता रहता है। डॉक्टर प्रभाकर तिवारी ने बताया कि फीवर क्लिनिक 12 घंटे खुलते हैं और अगर दोपहर के बाद यहां जांच नहीं हो रही है तो ऐसे क्लिनिक की जांच की जाएगी। कई क्लिनिक पर ऐसा हाल है कि डॉक्टर और कर्मचारी थोड़ी देर बैठखर वापस चले जाते हैं। ऐसे में मरीज को वहां पहुंचकर निराशा ही हाथ लगती है। उल्लेखनीय है कि पूरे शहर में 50 से ज्यादा फीवर क्लिनिक तो हैं लेकिन लोगों को बिना जांच करवाए, या इंतज़ार करके ही वापस लौटना पड़ता है।
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कोरोना मरीजों पर हड़ताल का खतरा
इधर, कोरोना (Corona) मरीजों के लिए संकट बढऩे वाला है। सूत्रों के मुताबिक, मेडिकल कॉलेजों के 3500 डॉक्टर हड़ताल पर जा सकते हैं। कल से शुरू होने वाली इस हड़ताल में जूनियक डॉक्टर भी शामलि होंगे। हड़ताल से सबसे ज्यादा संकट कोरोना मरीजों पर पड़ेंगा। क्योंकि उनकी देखभाल के लिए वैसे ही शहर के अस्पतालों में डॉक्टर कम हैं। दरअसल, यह हड़ताल सागर में हुई एक घटना के विरोध में की जा रही है। जिसमें इलाज में लापरवाही के मामले में कलेक्टर ने डीन की जांच रिपोर्ट को खारिज करते हुए मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसलिंग से डॉक्टर के लाइसेंस निरस्त किये गए है।
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