ग्वालियर। मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव (By-election) होने जा रहे है। आने वाले एक हफ्ते में हमे पता चल जायेगा की हमारा नेता कौन बनेगा। लेकिन बॉर्डर पर बने मतदान केंद्रों ने प्रशासन का सिरदर्द कर रखा है। क्योकि ऐसा माना जा रहा है की पडोसी राज्यों के अपराधी मतदान में दखल दे सकते है।
ये भी पढ़े : रिटर्निंग अफसरों पर आवेदनो की बाढ़, पार्टियों ने मांगी सभा की अनुमति
कहाँ कितने केंद्र सीमाओं पर –
हम आपको बता दे भांडेर जिले में उपचुनाव (By-election) के लिए करीब 260 मतदान केंद्र है, और 25 फीसदी मतदान केंद्र पडोसी राज्य या दूसरे जिले की सीमा पर बने हुए है। जिसमे से 49 केंद्र उत्तरप्रदेश की सीमा पर बनेंगे। मुरैना जिले में करीब करीब 150 मतदान केंद्र राजस्थान और उत्तरप्रदेश बॉर्डर पर बने हुए है। शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा में 7 केंद्र उत्तरप्रदेश बॉर्डर पर है। वही पोहरी विधानसभा में 5 केंद राजस्थान बॉर्डर पर बने है।
ये भी पढ़े : दिग्विजय सिंह की मांग, पोस्टल बैलेट मतदान को रद्द करे चुनाव आयोग
कितने लोगो को किया जिलाबदर –
उपचुनाव (By-election) में सबसे बड़ा कार्य होता है, सही ढग से चुनाव की पूरी प्रक्रिया संपन्न करवाना। इसी कार्य में लगा प्रशासन और पुलिस। मध्यप्रदेश में 3 नवंबर को मतदान होंगे और इन मतदानो को बिना किसी दखल के पूरा करवाना एक बड़ी चुनौती है। क्योकि उत्तर प्रदेश से लगी सीमाओं पर अपराधियों की दखल दे सकते है।
वैसे तो प्रशासन ने अभी 56 लोगो को जिलाबदर करने के लिए कहा है, और 11 लोगो को रासुका पर प्रस्तावित भेजा है और 4 लोगो पर रासुका सम्बंधित कार्यवाही भी की गई है। पुलिस हर तरह की सुरक्षा व्यवस्था का इंतज़ाम कर रही है।
ये भी पढ़े : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेंद्र बहादुर सिंह का देर रात कोरोना से निधन
क्या होता है जिलाबदर –
जब कभी प्रशासन को लगता है की कुछ लोगो की वजह से किसी क्षेत्र में आपराधिक या कोई दंगा भड़क सकता है, तो प्रशासन उन लोगो को अपना जिला कुछ निर्धारित समय के लिए बदलने के लिए कहता है। जिलाबदर से हमारा मतलब वह प्रशासनिक कार्यवाही है।
जिसमें आपराधिक प्रवित्तियों में लिप्त व्यक्तियों को कुछ निर्धारित समय के लिए जिला से बाहर कर दिया जाता है। यह कार्यवाही जिला के वरीय अधिकारियों के द्वारा किया जाता हैं, और खासकर चुनाव (By-election) के समय किया जाता है। जिला बदर वह सजा होती हो जो किसी अपराधी को दी जाती है।
ये भी पढ़े : कोरोना से कुल मौतें 1,19,502, संक्रमितों की संख्या 79 लाख पार
क्या होता है रासुका –
रासुका कानून जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 के नाम से जाना जाता है। यहाँ 1980 से मतलब उस सन से है जिस साल यह कानून देश में पारित किया गया था। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम जैसा की नाम से ही थोड़ा बहुत समझ आ रहा होगा की यह कानून देश की सुरक्षा सम्बन्धी प्रावधान दिए गए है।
जहाँ केंन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार को पूर्ण शक्ति प्राप्त है कि यदि देश या राज्य में किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा कोई ऐसी गतिविधि की जाती है या की जाने की असंका है या ऐसा कुछ भी किये जाने का पूर्ण विश्वास है की जिससे आम जनता को तकलीफ होगी या आम जनता को आहात होगा या उनकी सुरक्षा में बाधा पड़ सकती है या देश सुचारु रूप से चलने में बाधित हो सकता है या होता है। तो उस प्रत्येक व्यक्ति को इस रासुका कानून के तहत गिरफ्तार किये जाने का आदेश केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार द्वारा पारित किया जा सकता है।
ये भी पढ़े : Election ड्यूटी में ख़राब पड़ी स्कूल बसों को तैनात करेगा प्रशासन