नई दिल्ली :- भारत को क्रिकेट की दुनिया में अलग मुकाम पर ले जाने वाले टीम इंडिया के पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। धोनी ने बतौर कप्तान भारत को साल 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप, 2011 में क्रिकेट वर्ल्ड कप और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी दिलाई। भारत ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में जितनी सफलता हासिल की शायद ही किसी भारतीय कप्तान के पास इतना बड़ा रिकॉर्ड हो। धोनी के रिटायरमेंट की घोषणा ने एक ओर जहां उनके चाहने वालों को मायूस किया है, वहीं ये सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर ऐसे समय में धोनी ने संन्यास लेने की घोषणा क्यों की।
एमएस धोनी की संन्यास की उलटी गिनती 16 जनवरी को ही शुरू हो गई थी। ये वो दिन है जब बीसीसीआई ने नए सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट का ऐलान किया था और उसमें महेंद्र सिंह धोनी का नाम नहीं था। बीसीसीआई ने सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में 27 खिलाड़ियों को जगह दी थी, जिसमें धोनी नहीं थे। धोनी इससे पहले ए ग्रेड में शामिल थे। यहीं से कयास लगने शुरू हो गए थे कि अब धोनी जल्द ही संन्यास ले सकते हैं।
महेंद्र सिंह धोनी के संन्यास की घोषणा पर टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा, धोनी काफी समय से आईपीएल टी-20 टूर्नामेंट का इंतजार कर रहे थे। कोरोना न होता तो शायद आईपीएल मार्च-अप्रैल में होता। आईपीएल में उनका अच्छा परफॉर्मेंस उनके लिए टी-20 वर्ल्ड कप के दरवाजे भी खोल देता। धोनी की चाहत थी कि वह भारत को अगला टी-20 वर्ल्ड कप दिलाने के बाद संन्यास की घोषणा कर देते। पर कई बार कुछ चीजें आपके हाथ में नहीं होती हैं, कोरोना वायरस ने सबकुछ बर्बाद कर दिया।
पिछले साल बांग्लादेश के खिलाफ सीरीज से पहले भी कुछ हुआ था, जिसने धोनी के करियर पर सवाल खड़े कर दिये थे। महेंद्र सिंह धोनी को जब बांग्लादेश सीरीज के लिए नहीं चुना गया तो चयनकर्ता एमएसके प्रसाद ने साफतौर पर कह दिया था कि टीम इंडिया अब आगे बढ़ चुकी है। टीम के सेलेक्शन के बाद प्रसाद ने कहा था, ‘हम आगे बढ़ चुके हैं। हम अपने विचारों में साफ हैं। विश्व कप के बाद से हम साफ हैं। हमने ऋषभ पंत का समर्थन करना शुरू किया और उन्हें अच्छा करते हुए देखा.’ खुले तौर पर धोनी की जगह पंत का समर्थन करने से ये जाहिर हो गया था कि अब माही शायद ही वापसी कर पाएंगे। धोनी ने अपना आखिरी वनडे मैच न्यूजीलैंड के खिलाफ वर्ल्ड कप 2019 के सेमीफाइनल में खेला था। जिसमें उनके रन आउट होने के साथ ही भारत की जीत की उम्मीदें समाप्त हो गई थी और टीम वर्ल्ड कप से बाहर भी हो गई थी।