छिंदवाड़ा| मध्यप्रदेश त्योहार के मौसम में घर का बजट बनाना बड़ा मुश्किल काम होता है। साल के बड़े त्यौहार दीपावली दशहरा परविशेष तैयारियों के लिए अच्छी खासी रकम लोगोंको खर्च करनी पड़ती है। इस साल इनतैयारियों के बीच रोजमर्रा के उपयोग में आने वाली सब्जियों के अचानक उछले दामों के कारण पूरा बजट बिगाड़ कर रख दिया है।
सब्जियों के दाम से त्यौहारों के मौसम में घर का बजट बिगाड़
सब्जियों के दामोंके हाल ये है कि लोग आलू प्याज खरीदने में हिचक रहे हैं दूसरी सब्जियों को खरीदने की बात तो दूसरी है। प्याज 80 से 100 रुपए तो आलू 50 रुपए किलो बिक रहा है। ठंड के दिनों में अन्य पौष्टिक सब्जियां तो सवा सौ से डेढ़ सौ रुपए किलो तक मिल रहीं है। कोरोना कहर में जहां आम परिवार पहले से ही बीमारी अथवा असमय बेरोजगारी की मार से जूझ रहे है, वही सब्जियों के लगातार महंगे होने से उनकी जेबें और भी ढीली होती जा रही है। सप्ताह में डेढ सौ से दो सौ रुपए तक का सब्जियों का बजट अब लगभग दो गुना हो गया है। लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहाहै। महिलाओं के सामने भी समस्या है कि वे भोजन में घरवालों को कौन सी सब्जी परोसें।
इस सबंध में जब कुछ किसानों से बात की गई तो उनका कहना था कि आलू एंव प्याज सहित जिन सब्जियों की आवक बाहरी शहरों से होती है। वह अभी नियमित तौर पर नहीं आ पा रही है और यही वजह है कि सब्जियों के दाम अभी आसमान ही छूं रहे है.इतना नही कुछ स्थानीय मुनाफाखोरों द्वारा भी आलू व प्याज का स्टॉक कर महंगाई बढने का इंतजार किया जा रहा है और यह भी एक बडा कारण इन सब्जियों के लगातार महंगे होने के लिए बना हुआ है। दरअसल सब्जियों के दामों पर कोई सरकारी नियंत्रण न होने के कारण ऐसा हो रहा है।
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