देश। देश के सबसे बड़े औद्योगिक समूह Tata Group और उसके सबसे बड़े माइनोरिटी स्टेकहोल्डर मिस्त्री परिवार के बीच शेयरों को लेकर पिछले एक साल से कानूनी विवाद चल रहा है। टाटा ग्रुप ने इस विवाद को खत्म करने के लिए पहल की है। उसका कहना है कि वह मिस्त्री परिवार की हिस्सेदारी खरीदने को तैयार है।
टाटा संस के वकील ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह नकदी संकट से जूझ रहे शापूरजी पलौंजी ग्रुप की 18 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने को तैयार है। शापूरजी पलौंजी ग्रुप अपने कर्ज के भुगतान के लिए पैसा जुटाना चाहता है। लेकिन वह हिस्सेदारी बेचने के बजाय शेयर गिरवी रखकर उधार लेना चाहता है। टाटा समूह को लगता है कि ऐसा करने में जोखिम है। इससे ऐसे निवेशकों के हाथ शेयर लग सकते हैं जो आगे चलकर कंपनी के हितों के खिलाफ काम कर सकते हैं।
शेयरों की बिक्री पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने मिस्त्री ग्रुप से कहा है कि वह 28 अक्टूबर तक टाटा समूह को कोई शेयर नहीं बेचेगा और न ही उसे गिरवी रखेगा। मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर से शुरू होगी। शापूरजी पलौंजी ग्रुप पर पलौंजी मिस्त्री और उनके परिवार का नियंत्रण है। इस ग्रुप की टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 18 फीसदी हिस्सेदारी है। मिस्त्री के बेटे साइरस मिस्त्री को 2016 में टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था। तभी से उनकी टाटा परिवार के साथ ठनी हुई है।
कितना कर्ज है मिस्त्री परिवार पर
मिस्त्री परिवार का रियल एस्टेट, इन्फ्रास्ट्रक्चर और होम एप्लायंसेज का कारोबार है। समूह की अपने कर्ज के भुगतान के लिए टाटा संस में अपनी कुछ हिस्सेदारी गिरवी रखकर 1 अरब डॉलर जुटाने की योजना थी। एसपी ग्रुप की मेन होल्डिंग कंपनी शापूरजी पलौंजी एंड कंपनी प्राइवेट पर फरवरी के अंत तक 9280 करोड़ रुपये (1.3 अरब डॉलर) का कर्ज था। पूरे ग्रुप पर मार्च 2019 तक 30,000 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज था।