पानी की किल्लत को लेकर गांव वासियों को 6 किलोमीटर तक दौड़ना पड़ता है

मालवा-निमाड़ | जल ही जीवन है। जिंदगी की इस मूलभूत जरूरत के लिए इन दिनों अंचल में कई जगह लोग संघर्ष कर रहे हैं, खासकर गांवों में। आजादी के सात दशक बाद भी गांवों में कहीं दो तो कहीं छह किमी दूर तक जाकर पानी लाना पड़ रहा है। ऐसा नहीं है कि इनकी जिंदगी से यह एक दुश्वारी कम नहीं हो सकती। जल जीवन मिशन के तहत पर्याप्त बजट सरकार मुहैया कराती है, मगर कमी है तो सरकारी तंत्र की इच्छाशक्ति की। पड़ताल में कुछ क्षेत्र ऐसे भी सामने आए हैं, जहां 12 महीने गी पेयजल की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। खरगोन के भगवानपुरा क्षेत्र के पहाड़ी इलाके में ग्रामीण जलसंकट से जूझ रहे हैं।  पानी के लिए ग्रामीण रात-दिन जद्दोजहद करते हैं। पहाड़ी की तलहटी में स्थित नाले में कुआं खोदा है, जिसमें से पानी भरते हैं। गांव में 150 मकान हैं। विधायक केदार डावर ने बताया पेयजल समस्या दूर करने के लिए प्रयास किए गए, लेकिन मार्ग नहीं होने से बोरिंग मशीन नहीं पहुंच पाई।

झाबुआ जिले का जल स्तर 38 मीटर के करीब है। जिले में 14 हजार 394 हैंडपंप हैं। जल स्तर गिरने से 615 हैंडपंप रुक-रुककर पानी दे रहे हैं। 22 बंद हैं। 142 मिट्टी भर जाने से बंद हो चुके हैं। खवासा, मदरानी, काकनवानी, परवलिया तथा कुंदनपुर क्षेत्र में जलसंकट है। खवासा निवासी क्रमसिंह चैधरी का कहना है वर्षों पुरानी समस्या है। 15 दिन में जलापूर्ति होती है। लोगों को टैंकर खरीदकर पानी लेना पड़ रहा है। कुंदनपुर क्षेत्र के अनसिंह का कहना है कुंदनपुर, लंबेला आदि क्षेत्रों में संकट बना रहता है। झीरी खोदकर पानी निकालने जैसी स्थिति आ जाती है। आलीराजपुर के कई गांवों में लोग एक से दो किमी दूर से पानी लाने के लिए मजबूर हैं। ग्राम अंधारकांच, बेसवानी, कोसारिया, मोरियावाडा, केल्दी की माल, छकना की माल, बड़दली, छकतला क्षेत्र के डेटकुंडा, पानमहुडी, कंथारी, पिपलीयावाट सहित आसपास के अन्य गांवों में ऐसी स्थिति सालों से है। विधायक मुकेश पटेल ने विधानसभा में सवाल भी उठाया था, लेकिन परेशानी दूर नहीं हुई। जिला प्रशासन और पीएचई द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है

शाजापुर जिले में 4600 से ज्यादा हैंडपंप हैं, लेकिन लगातार गिरते जल स्तर के चलते करीब 350 दम तोड़ चुके हैं। आने वाले दिनों में यह आंकड़ा और भी बढ़ जाएगा। औसत जलस्तर 40 मीटर पहुंच गया है। लखुंदर, कालीसिंध जैसी नदियां मैदान में तब्दील हो गई हैं। नीमच जिले में मई में 31.77 मीटर भूजल स्तर दर्ज किया गया, जबकि पिछले वर्ष 15.90 मीटर था। जिले के 4,999 हैंडपंप में से 421 सूख गए व चार खराब हैं। 90 गांवों में जल संकट है, जिनमें वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। बरखेड़ा कामलिया के रवि धाकड़ व किशोर अहीर ने बताया गर्मी में चार किमी दूर पीने का पानी लाना पड़ता है। मंदसौर जिले में 5 हजार 282 हैंडपप चालू हैं और 797 बंद। गावों में सिंगल फेस पंप डाले जा रहे हैं। 40 से 48 मीटर औसत जल स्तर बना हुआ हैं। काका गाडगिल सागर बांध में पानी खत्म होने से मल्हारगढ़, पिपलिया मंडी और नारायणगढ़ व आसपास के गांवों में जल संकट है।

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