भोपाल :- जीएसटी ( GST ) यानि गुड्स एंड सर्विस टैस एक प्रकार से सरकार की आमदनी का प्रमुख जरिया है। देशभर में लागू हुए जीएसटी कानून के बाद यह उम्मीद जताई गई थी कि अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने और टैक्स चोरी रोकने में यह फॉर्मूला कारगर साबित होगा। लेकिन हाल ही में स्टेट जीएसटी की रिपोर्ट इन तमाम दावों के उलट ही आयी है। जबलपुर स्थित स्टेट जीएसटी दफ्तर से पेश की गई।
जानकारी में यह खुलासा हुआ है कि महाकौशल के 8 जिलों में पिछले 17 महीनों में जीएसटी चोरी के 190 मामले दर्ज किए गए। इसमें एक अरब से ज्यादा का टैक्स चुराने की कोशिश की गई। उससे भी बड़ी बात यह है कि इस कार्रवाई में 153 बोगस कंपनियां हैं, जिन्हें हम जाली या फिर शेल कंपनियां भी कह सकते हैं, उनका पता चला है। शेल कंपनियों के माध्यम से करोड़ों के वारे न्यारे भी किए गए। ना केवल मध्य प्रदेश बल्कि देशभर के विभिन्न राज्यों में इन शेल कंपनियों से व्यापार कर आदान-प्रदान भी किया गया। बेशक कार्रवाई इनमें से सिर्फ 153 फर्म पर ही की गयी। लेकिन इनका बड़ा जाल देश भर में फैला हुआ है।
स्टेट जीएसटी के ज्वाइंट कमिश्नर सुनील मिश्रा ने बताया कि विभाग की इन 8 जिलों में टैस चोरी करने वालों पर पैनी नजर है। अब जब अनलॉक के बाद फिर व्यापार पटरी पर दौड़ पड़ा है तो उसके बाद भी छिंदवाड़ा और जबलपुर में 8 बड़ी कर चोरी के मामले सामने आए हैं। स्पष्ट है कि जीएसटी को लेकर व्यापारियों का एक बड़ा गिरोह टैस चुराने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहा है। टैस चोरी और बोगस कंपनियों के ज़रिए व्यापार चलाने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसके पीछे व्यापारी ये वजह बताते हैं कि टैक्स की जटिलता के कारण ये समस्या खड़ी हो रही है।
वही व्यापारियों का कहना है सिंगल टाइम टैक्स योजना अगर लागू होती है, तो इससे टैक्स चोरी पर पूरी तरह रोक लग सकती है। सिंगल पॉइंट एंड सिंगल टाइम टैक्स की ओर अगर सरकार ध्यान देगी, तो ना केवल इससे व्यापार प्रगति करेगा, बल्कि चोरी जैसे संगीन मामलों में भी अप्रत्याशित कमी आ सकती है।
बतादें कि जीएसटी लागू होने से पहले टैक्स चोरी और आमदनी छुपाने के लिए पूरे महाकौशल अंचल में हवाला कारोबार जमकर फला फूला था। कटनी से लेकर जबलपुर और दिल्ली के बीच उजागर हुआ हवाला कांड पार्ट-2 किसी से छुपा नहीं है। बहरहाल जीएसटी लागू करने के पीछे सरकार की मंशा को पलीता लगा रहे टैक्स चोरों पर लगाम बेहद जरूरी है।
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