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दरअसल चंबल क्षेत्र के लोगों को सबसे ज्यादा बंदूकों का शौक रहा है। अकेले भिंड जिले में ही 22 हजार चार सौ लाइसेंसी हथियार मौजूद हैं। ऐसे में यहां पर आए दिन बंदूकों से आपराधिक घटनाएं होती रहती हैं। कभी किसी की हत्या तो कई लोग घायल होते रहते हैं। इसी के चलते भिंड जिले के वर्तमान एसपी मनोज कुमार सिंह ने बुलेट्स पर क्यूआर कोड लगाने का प्रस्ताव शासन को भेजा।
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प्रत्येक कारतूस पर अलग यूनिक आइडेंटीफिकेशन नंबर (यूआइएन) रहेगा। इसके साथ इस क्यूआर कोड में शस्त्र लाइसेंसी का नाम, पुलिस स्टेशन का नाम, लाइसेंस नंबर, लाइसेंस की वैद्यता कब से कब तक, वर्तमान पता, शस्त्र नंबर, शस्त्र और कॉन्टैक्ट नंबर का पूरा ब्योरा रहेगा। क्यूआर कोडिंग के बाद पुलिस उन कारतूसों को संबंधित लाइसेंसधारी को वापस देगी।
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सिर्फ एक स्कैन और मिल जाएगा पूरा ब्योराएसपी मनोज कुमार सिंह का कहना है जिले के लाइसेंसधारी के पास मौजूद प्रत्येक कारतूस पर क्यूआर कोडिंग की जाएगी। इसके जरिए प्रत्येक कारतूस का अलग यूआइएन होगा। ऐसे में यदि हिंसा में हथियारों का इस्तेमाल हुआ तो खोखे पर मौजूद क्यूआर कोड की सिर्फ एक स्कैनिंग पुलिस के सामने कारतूस मालिक का पूरा ब्योरा रख देगी। इससे गोली चलाने वाला आसानी से पकड़ा जाएगा।
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फिलहाल मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित कंपनी से प्रयोग के तौर पर बुलेट्स पर क्यूआर कोड लगवाए गए हैं। मेटल बुलेट्स पर इंफ्रारेड के जरिये तो अन्य बुलेट्स पर परमानेंट इंक से क्यूआर कोड लगाया जाएगा, जिसे मिटाया नहीं जा सके।