नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी व्यक्ति की उम्र का निर्धारण आधार कार्ड पर दर्ज जन्म तिथि के आधार पर नहीं किया जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उम्र का प्रमाण देने के लिए आधार कार्ड मान्य दस्तावेज नहीं है।
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि उम्र का निर्धारण स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (एसएलसी) में दी गई जन्म तिथि के अनुसार किया जाना चाहिए। यह फैसला एक सड़क दुर्घटना में मुआवजे से संबंधित मामले में आया है।
यह मामला पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। हाई कोर्ट ने आधार कार्ड की जन्म तिथि को सही मानते हुए मुआवजा तय किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पलटते हुए कहा कि स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट के आधार पर ही उम्र का निर्धारण किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 94 का हवाला देते हुए कहा कि उम्र का निर्धारण स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र में दर्ज जन्म तिथि के अनुसार किया जाना चाहिए।
इस दुर्घटना में पहले मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने एसएलसी के आधार पर 19.35 लाख रुपये मुआवजा तय किया था, जिसे हाई कोर्ट ने घटाकर 9.22 लाख कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने एमएसीटी के फैसले को बहाल करते हुए 19.35 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।