भोपाल। कश्मीर में आठ दलों ने एक होकर गुपकार संगठन या एलायंस बनाया है। लेकिन यह समझ नहीं आता कि इसे गुपकार एलायंस कहें, एंटी नेशनल एलायंस कहें या एंटी पीपुल्स एलायंस कहें। इस एलायंस में जितने भी नेता शामिल हैं, वे सब राष्ट्विरोधी बयानबाजी करते हैं। नेशनल कांफ्रेस के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला 11 अक्टूबर को एक टीवी समाचार चैनल से बात करते हुए कहते है कि हम चीन की मदद से कश्मीर में धारा 370 की वापसी करायेंगे।
23 अक्टूबर को महबूबा मुफ्ती कहती हैं कि हम उस वक्त तक तिरंगा नहीं उठायेंगे और न ही किसी को उठाने देंगे जब तक हमारे कश्मीर का झंडा हमें वापस नहीं मिल जाता। कांग्रेस के राहुल गांधी भी इनके सुर में सुर मिलाते हैं। गुपकार एलायंस और कांग्रेस कश्मीर के माहौल में एक बार जहर घोलना चाहते हैं, उसे अंधेरे में धकेलना चाहते हैं। यह बात मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान (shivraj singh chahan) ने शुक्रवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए कही।
लूट पर रोक लगी, इसलिए साथ आए अब्दुल्ला, मुफ्ती और गांधी परिवार
श्री चौहान ने कहा कि आज अगर कांग्रेस का गांधी परिवार कश्मीर के अब्दुल्ला परिवार, मुफ्ती परिवार के साथ एकजुट दिखाई दे रहा है, तो उसकी वजह यह है कि मोदी सरकार ने कश्मीर से धारा 370 और 35 ए हटाकर इनकी लूट पर रोक लगा दी है। श्री चौहान ने कहा कि इन परिवारों ने रोशनी एक्ट की आड़ में 25000 करोड़ से अधिक की जमीन हड़प ली, जिसकी जांच अब सीबीआई कर रही है। ये वही नेता हैं, जिनके बच्चे विदेशों में पढ़ते रहे और ये कश्मीरी बच्चों के हाथों में पत्थर थमाते रहे। इन्होंने ही कश्मीर को अंधेरे में धकेला।
जब सीबीआई जांच की आंच इन नेताओं तक पहुंचने लगी, तो उन्होंने इससे बचने के लिए ही गुपकार अलायंस बनाया और कांग्रेस भी उनमें शामिल हो गई। श्री चौहान ने कहा धारा 370 हटने के बाद कश्मीर खुली हवा में सांस ले रहा है। जहां कभी खून के निशान दिखाई देते थे, वहां अब प्राकृतिक सौंदर्य की सौंधी महक आने लगी है। लेकिन अब उसी कश्मीर में फिर से जहर घोलने के प्रयास हो रहे हैं, जिसमें कांग्रेस पार्टी भी शामिल है।
एक ही सुर में बोलते रहे हैं कांग्रेस और गुपकार अलायंस
श्री चौहान ने कहा कि हाल ही में फारुक अब्दुल्ला ने जो राष्ट्रविरोधी बयान दिया है, वह पहली बार नहीं है। उन्हीं के साथ कांग्रेस पार्टी के पी. चिदम्बरम और गुलाम नबी आजाद जैसे नेता धारा 370 की बहाली की बात करते रहे हैं। कश्मीर के कांग्रेसी नेता जहांजेब ने तो अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन से दोबारा धारा 370 लागू कराने की बात कही है। श्री चौहान ने कहा कि कांग्रेस पहले भी गुपकार अलायंस के नेताओं के साथ थी और आज भी है।
गुपकार अलायंस की बैठकों में कांग्रेस पार्टी के नेता शामिल होते रहे हैं। कांग्रेस गुपकार अलायंस के साथ मिलकर कश्मीर में जिला पंचायत के चुनाव लड़ रही है। गुपकार अलायंस की सूची में तीन उम्मीदवार कांग्रेस के भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में कांग्रेस पार्टी को देश की जनता के सामने गुपकार अलायंस से अपने रिश्ते स्पष्ट करना चाहिए। उसे बताना चाहिए कि वह क्यों 370 हटाने के विरोध में है, क्यों कश्मीर में जहर घोलना चाहती है, क्यों उसके नेताओं के बयान और उसका दृष्टिकोण आतंकियों के साथ खड़े दिखाई देते हैं।
अलगाववादी मानसिकता से उबरी नहीं कांग्रेस
श्री चौहान ने कहा कि पं. नेहरू ने जल्दी सत्ता हासिल करने के प्रयास में देश का विभाजन स्वीकार किया। उन्होंने धारा 370 लागू करके कश्मीर में एक निशान, दो विधान, दो प्रधान की व्यवस्था स्थापित की और कश्मीर को भारत के साथ समरस नहीं होने दिया। कश्मीर का विलय हमारा आंतरिक मामला था, लेकिन पं. नेहरू उसे संयुक्त राष्ट्रसंघ में ले गए और वहां जनमत संग्रह तक की बातें कही। श्री चौहान ने कहा कि कांग्रेस पार्टी आज भी उस अलगाववादी मानसिकता से उबरी नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस गुपकार अलायंस के सुर में कांग्रेस सुर मिला रही है, उसे गुप्तचर संगठन कहा जाए तो उचित होगा। इस संगठन के लोग चीन और पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहे हैं।
दोमुंही बातें करने वाली कांग्रेस बताए, आतंकियों से उसके क्या रिश्ते हैं
श्री चौहान ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और उसकी अध्यक्ष सोनिया जी को देश को यह बताना चाहिए कि धारा 370 और 35 ए को लेकर कांग्रेस की क्या सोच है? क्या वह अलगाववादी मानसिकता वाले लोगों के साथ है, क्या वह धारा 370 और 35 को हटाने के पक्ष में है, कांग्रेस पार्टी और उसके नेता कश्मीर पर दोमुंही बातें क्यों करते हैं। देश की जनता यह जानना चाहती है कि आतंकवादियों से कांग्रेस के क्या रिश्ते हैं? बटाला हाऊस एनकाउंटर के बाद सोनिया जी ने आंसू क्यों बहाए थे और दिग्विजयसिंह जैसे कांग्रेस के नेता आतंकियों के साथ खड़े क्यों दिखाई देते हैं?