कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 23 नवंबर आंवला नवमी का त्योहार मनाया जाएगा। नवमी तिथि 22 नवंबर रात 10:52 बजे से प्रारंभ होकर 23 नवंबर सोमवार रात्रि 12:33 बजे तक रहेगी। पूजा मुहूर्त सुबह 06:45 बजे से 11:54 बजे तक रहेगा जिसका कुल समय 5 घंटे 8 मिनट है। आंवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहा जाता है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि अक्षय आमला नवमी के दिन किया गया पुण्य कभी खत्म नहीं होता है। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और भोजन करने का विधान होता है। मान्यता है आंवला नवमी पर आंवले के पेड़ के नीचे नीचे भोजन करने से रोगों का नाश होता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आंवले के वृक्ष के नीचे विद्वानों को भोजन कराया जाता है, तथा दक्षिणा भेंट कर खुद भी उसी वृक्ष के निकट बैठकर भोजन किया जाता है। इस दिन महिलाएं अक्षत, पुष्प, चंदन आदि से पूजा-अर्चना कर, आंवले के पेड़ पर पीला धागा लपेटकर वृक्ष की 108 परिक्रमा करती हैं।
इस दिन जो भी शुभ कार्य जैसे दान, पूजा, भक्ति, सेवा किया जाता है उनका पुण्य कई-कई जन्म तक प्राप्त होता है। पदम् पुराण के अनुसार अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु एवं शिवजी का निवास होता है। इस दिन महिलाएं संतान की प्राप्ति और संतान की मंगलकामना के लिए आंवले के पेड़ की पूजा करती हैं। किसान खाद्य पदार्थों से निरंतर भंडार भरे रहने और भविष्य में अच्छी फसल के लिए इस दिन को मनाते हैं।
इस दिन आंवले का वृक्ष घर में लगाना वास्तु की दृष्टि से शुभ माना जाता है। वैसे तो पूर्व की दिशा में बड़े वृक्षों को नहीं लगाना चाहिए किंतु आंवले के वृक्ष को इस दिशा में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इसे घर की उत्तर दिशा में भी लगाया जा सकता है।