छतरपुर। जैसे जैसे उपचुनाव की तारीख करीब आ रही है, हर पार्टी के प्रत्याशी को अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में खतरा नजर आने लगा है। यदि हम बात करे तो बीजेपी को सुरखी और सांची विधानसभा क्षेत्र में हार का डर सता रहा है। वही बड़ामलहरा उपचुनाव में भी दल बदलकर बीजेपी में आए प्रद्युम्र लोधी (Pradyuman Singh Lodhi) को अच्छी खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। संगठन के लोग भी दिल खोलकर अपने प्रत्याशी के लिए प्रचार प्रसार नहीं कर पा रहे हैं। दलबदल की छाप और बिकाऊ नारा चलने के कारण भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संगठन से जुड़े लोगों को प्रद्युम्र लोधी (Pradyuman Singh Lodhi) के लिए प्रचार करने में काफी दिक्कतें आ रही हैं।
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शिवराज के भरोसे प्रद्युम्न सिंह लोधी
प्रद्युम्र लोधी (Pradyuman Singh Lodhi) प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती के भरोसे पर अपनी नैय्या पार लगाने का सपना सजाए बैठे हैं। हालांकि शिवराज सिंह चौहान ने अभी हाल ही में लगातार तीन दौरा बड़ामलहरा क्षेत्र में किए लेकिन इन दौरों के दौरान क्षेत्र में भीड़ एकत्रित नहीं हुई और जो भीड़ एकत्रित की गई थी, वह किराए पर लाए गए लोगों की थी।जिससे जनता में कोई अच्छा मैसेज अभी तक नहीं पहुंच पाया।
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जनता बीजेपी के वादे और घोषणाओं से ऊब चुकी है
शिवराज सिंह चौहान को भी उनके सूत्रों ने यह बता दिया है कि बीजेपी प्रत्याशी की स्थिति क्षेत्र में अच्छी नहीं है और बीजेपी को यह सीट खिसकती नजर आ रही है। वहीं प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती जिनका गढ़ बड़ामलहरा कहा जाता था, उन्होंने भी बड़ामलहरा उपचुनाव से अभी दूरी बना रखी है। अभी तक बड़ामलहरा क्षेत्र में प्रद्युम्र लोधी (Pradyuman Singh Lodhi) के पक्ष में प्रचार प्रसार करने के लिए तूफानी दौरा नहीं किया है। क्षेत्र की जनता भी बीजेपी के नेताओं के वादे और घोषणाओं से ऊब चुकी है।
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बड़ामलहरा सबसे पिछड़ा क्षेत्र
आज भी बड़ामलहरा क्षेत्र सबसे ज्यादा पिछड़ा हुआ क्षेत्र है इस क्षेत्र में सामंती प्रवृत्ति के लोगों ने गरीब तपके के लोगों का शोषण किया है और जिन्होंने भी इसकी आवाज उठाई उसे इस क्षेत्र से बाहर कर दिया गया। इस क्षेत्र में सामंती प्रवृत्ति के लोगों का दबदबा आज भी बरकरार है। उनके इशारों पर ही इस क्षेत्र से जनप्रतिनिधि चुनकर जाता है। ऐसे में प्रद्युम्र लोधी की नैय्या कैसे पार होगी पिछले चुनाव में प्रद्युम्र लोधी (Pradyuman Singh Lodhi) ने बीजेपी के खिलाफ जो भाषण दिए थे उसी का परिणाम था कि वह कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार होने के कारण लगभग 15 हजार मतों से विजयी हुए थे और आज 18 महीने बाद वही प्रद्युम्र लोधी बीजेपी से प्रत्याशी बनकर जनता के सामने फिर से वोट मांगने आ गए हैं।
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जनता सब जानती है
जनता है सब जानती है कि प्रद्युम्र लोधी (Pradyuman Singh Lodhi) ने क्षेत्र का विकास तो किया नहीं परंतु अपना विकास 18 महीने में कर लिया। दल बदलकर सत्ता के मोह में क्षेत्र की जनता के जनमत का तो तिरस्कार प्रद्युम्र लोधी ने किया है उसका खामियाजा इस चुनाव में उन्हें भुगतना पड़ेगा। हालांकि भारतीय जनता पार्टी का संगठन पूरी ताकत के साथ डटा हुआ है, परंतु उन्हें सफलता मिलती नजर नहीं आ रही है। उनका मुख्य मुकाबला कांग्रेस पार्टी से होना है।
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