कोलंबो। Prime Minister Narendra Modi और श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के बीच शनिवार को होने वाली डिजिटल शिखर वार्ता में मछुआरों के मुद्दे पर मुख्य रूप से चर्चा होगी। राजपक्षे के मीडिया कार्यालय ने शनिवार को बताया कि प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को स्थानीय मछुआरा संगठनों के बड़े वर्ग से बातचीत की और दोनों देशों के बीच इस मामले पर मुख्य रूप से बात की जाएगी।
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श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में यहां कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल छह अगस्त को राजपक्षे के साथ फोन पर बातचीत की थी। प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर यह शिखर वार्ता की जा रही है। राजपक्षे के कार्यालय ने बताया कि मछुआरों के समुदाय ने प्रधानमंत्री से कहा कि कोविड-19 संक्रमण फैलने के बाद से भारतीय प्राधिकारी अपने मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए श्रीलंकाई जलक्षेत्र में जाने से नहीं रोक रहे हैं और इसके कारण स्थानीय मछुआरा समुदाय को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
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उसने कहा कि ‘‘श्रीलंकाई जलक्षेत्र में भारतीयों द्वारा मछली पकड़ना’’ समस्या बना हुआ है और पहले भी दोनों पड़ोसी देशों के बीच उच्च स्तरीय बैठकों में इस मामले पर बातचीत की गई है। कार्यालय ने बताया कि राजपक्षे ने मछुआरों को भरोसा दिलाया कि भारतीय नेता के साथ वार्ता में इस मामले को उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि श्रीलंकाई नौसेना को देश के जलक्षेत्र में मछली पकड़ने वाले अन्य देशों के लोगों को गिरफ्तार करना चाहिए।
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इससे पहले श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा था, ‘‘इस वार्ता के दौरान राजनीतिक, आर्थिक, वित्त, विकास, रक्षा, शिक्षा, पर्यटन एवं सांस्कृतिक संबंधों सहित द्विपक्षीय संबंधों के सभी आयामों और आपसी हित के क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विषयों पर चर्चा की जाएगी।’’ शिखर वार्ता में दोनों देशों के संबंधित मामलों के मंत्री और के वरिष्ठ अधिकारी शीर्ष नेताओं के साथ मौजूद रहेंगे।
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पिछले महीने प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालने के बाद राजपक्षे की यह किसी अन्य देश के नेता के साथ पहली डिजिटल शिखर वार्ता होगी। ऐसी संभावना है कि दोनों नेता आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने, रक्षा एवं व्यापार संबंधों को मजबूत करने तथा श्रीलंका में भारत की विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन जैसे कई अन्य विषयों पर भी विमर्श कर सकते हैं। वार्ता के दौरान श्रीलंका के तमिल समुदाय से संबंधित मामले पर भी बात हो सकती है। भारत श्रीलंका में अल्पसंख्यक तमिल समुदाय की आकांक्षाओं को पूरा किए जाने का समर्थन करता रहा है।
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