Mp election – मंदसौर जिले के कयामपुर गांव की वो सभा, सुवासरा विधानसभा के कांग्रेस से बीजेपी में पाला बदल कर आये उम्मीदवार हरदीप सिंह डंग के प्रचार के लिये थी। मंच पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) भाषण दे रहे थे।
बात करते जाने उनके मन में क्या आया और वो कह उठे कि “ आज मेरा दिल कह रहा है शिवराज यहां बैठ कर मंदसौर और नीमच जिले की जनता को प्रणाम कर और कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दे।” इसके बाद वो मंच पर घुटनों के बल बैठ गये और दोनों हाथ जोड कर सामने बैठे कार्यकर्ताओं को हाथ जोडकर प्रणाम करने की मुद्रा में झुक गये। बस फिर क्या था मंच पर बैठे बीजेपी के नेता शिवराज सिंह (shivraj singh) के इस कदम से भौंचक्के से रह गये और खडे होकर तालियां बजाने लगे।
देखते ही देखते ये वीडियो और घुटनों के बल बैठकर प्रणाम करते हुये शिवराज का फोटो वाइरल हो गया।
इस फोटो के लोग अलग अलग मायने निकालने लगे। कांग्रेस ने कहा कि मुख्यमंत्री चुनाव के पहले ही घुटनों पर आ गये तो कुछ इसे मुख्यमंत्री की विनम्रता तो कुछ इसे नाटक और नौटंकी कहने लगे। मगर ये फोटो बहुत कुछ कहता है। ये निर्विवाद है कि शिवराज मध्यप्रदेश के सबसे लोकप्रिय और सबसे लंबे समय तक प्रदेश के सर्वोच्च पद पर रहने वाले नेता हैं।
ये पद और कद उनको यूं ही नहीं मिला। मध्यप्रदेश की राजनीति हमेशा से नेता प्रधान रही है यदि उसमें शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh) जैसा साधारण परिवार से आया कार्यकर्ता जैसा व्यक्ति लंबे समय तक नेता रह जाये तो और इतने लंबे समय में भी अपना कार्यकर्ता भाव को जिंदा रखे तो ये यूं ही नहीं है। सच तो ये शिवराज प्रदेश की जनता की नब्ज अच्छी तरह पहचानते हैं। उनको मालुम है कि कमलनाथ सरकार गिरने के बाद चौथी बार यदि उनको प्रदेश की कुर्सी मिली है तो उसकी कीमत भारी है।
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कोरोना की चुनौती तो उनको कम सिस्टम को ही जैसे तैसे निपटनी थी मगर कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होकर सरकार बनाने वाले 25 लोगों को दोबारा बीजेपी से जिताकर लाना उनके ही जिम्मे हैं। इसलिये अब वो अपना सारा राजनीतिक कौशल दिखा रहे हैं। भोपाल में बैठकर रोज नयी नयी योजनाओं का ऐलान कर रहे हैं।
योजनाओं के हितग्राहियों से ना सिर्फ बात कर रहे हैं बल्कि प्रत्येक जिले में उसका सीधा प्रसारण भी करवा रहे हैं और इनसे छूटते ही वो निकल पडते हैं चुनाव वाले इलाकों में सभाएं करने। वो समझ रहे हैं कि कांग्रेस से पाला बदल बीजेपी का पटटा पहन लेने भर से कोई भी उम्मीदवार बीजेपी का नहीं हो जाता। इन्हीं बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने डेढ साल पहले इसी प्रत्याशी को हाथ उठाकर हराने की कसम तो शिवराज ने ही खिलवायी थी फिर भला अब ये कार्यकर्ता कैसे इसे अपना ले।
इसलिये शिवराज अब जनता से बाद में पहले बीजेपी के कार्यकर्ताओं को प्रणाम कर रहे हैं और वो भी घुटने टेक कर। जिससे बीजेपी के कार्यकर्ताओं की नाराजगी इस उम्मीदवार से दूर हो तब तो ये भाई कांग्रेस प्रत्याशी से लड पायेगा। वरना बीजेपी की टिकट पर चुनाव लडने वाले कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी के सामने चुनौती का पहाड बडा है पहले उसे बीजेपी के नेताओं कार्यकर्ताओं से लडना है, फिर जनता को जबाव देना है जो पूछ रही है कि भैया जब विधायक ही बनना था तो विधायकी से इस्तीफा क्यों दिया, जब मंत्री ही बनना था तो मंत्री पद छोडा क्यों। क्यों हमें इस कोरोना काल में भीड भरी सभाओं में बुला रहे हो। क्यों इस कोरोना काल में हमारे घर भीड लेकर आ रहे हो।
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हम देश के प्रधानमंत्री की बात मान रहे हैं जो कहते हैं कि जब तक आवश्यक कार्य ना हो घर से ना निकलें और तुम गली गली घूम रहे हो। ओर अब तो ये भी साफ हो गया है कि जिन सत्रह जिलों की 28 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं वहां पिछले दो महीने में कोरोना संक्रमण की दर बढी है मरीज बढे हैं जबकि प्रदेश में ये दर घट रही है कोरोना के एकिटव मरीज कम हो रहे हैं। उपचुनाव वाले जिलों में एक अगस्त से अब तक करीब सत्तर दिनों में 33925 नये रोगी मिले और 532 मरीजों की जान गयी।
इन सारे सवालों के बाद बीजेपी प्रत्याशी को कांग्रेस से मुकाबला करना है। हांलाकि ग्वालियर चंबल के कई इलाकों में बीएसपी ने उम्मीदवार उतारकर मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया है। जिसका कुछ जगहों पर बीजेपी को कहीं कांग्रेस को लाभ है। इसलिये शिवराज सिंह का ये प्रणाम बेमानी नहीं है और ये भी तय मानिये कि उनकी ये अदा खाली भी नहीं जायेगी।
भाव की भूखी जनता में शीश झुका कर करो प्रणाम का असर हुआ है और आगे भी होगा। कंाग्रेस में है कोई ऐसा नेता जो कर सके ऐसा प्रणाम करने की हिम्मत। शिवराज सिंह ने पिछले पंद्रह सालो में मध्यप्रदेश में राजनीति करने का रंग ढंग और व्याकरण बदल दिया है।