बिहार। बिहार में चुनाव (Bihar Election) हो और वह विवाद से परे हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। बिहार और विवाद का मानो चोली दामन जैसा साथ रहा है। पहले चरण की चुनाव प्रक्रिया के शुरू होते ही विवादों का बाज़ार एक बार फिर से गर्म होना शुरू हो गया है। अगर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाला महागठबंधन चुनाव जीता तो विवाद 10 नवंबर को, जिस दिन तीनों चरणों में हो रहे विधानसभा चुनाव का परिणाम आएगा, ख़त्म हो जाएगा लेकिन सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड)- भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन एनडीए (NDA) के चुनाव जीतने की स्थिति में यह विवाद लंबा चलेगा, शायद विवाद अदालत में भी जा सकता है।
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बिहार में हुआ जाली मतदान –
बिहार चुनाव (Bihar Election) में पिछले कई सालों से विवाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के इर्दगिर्द ही घूमता रहा है। अब इसमें एक नया अध्याय जुड़ गया है। बुधवार को 243 सदस्यों वाली विधानसभा के 71 क्षेत्रों में मतदान हुआ और आरोप है कि इस बार कई जगहों पर चुनाव के समय उंगली पर लगाई जाने वाली स्याही नकली थी, जो मिनटों में ही उड़ गई और जाली मतदान हुआ।
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हुआ नकली स्याही का उपयोग –
चुनाव (Election) का इंतजाम चुनाव आयोग द्वारा किया जाता है। वैसे तो चुनाव आयोग ऑटोनोमस होता है पर चूंकि तीनों इलेक्शन कमिश्नर केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत होते हैं, जाहिर है कि अगर चुनाव में कोई धांधली होती भी है तो वह सत्तारूढ़ पक्ष में ही होगी। यानी अगर नकली स्याही का इस्तेमाल किया गया है तो फिर वह एनडीए को फायदा पहुंचाने के लिए ही हुआ होगा, ना कि महागठबंधन की सरकार बनाने के लिए।
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राम मांझी का बयान देगा विवाद को तूल –
बिहार चुनाव (Bihar Election) में एक तरफ नकली स्याही के इस्तेमाल का आरोप और दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का दावा कि 71 में से लगभग 50 सीटें एनडीए के पक्ष में जाएंगी, विवादों को तूल ही देगा। मांझी चुनाव के ठीक पूर्व महागठबंधन छोड़ कर एनडीए का हिस्सा बन गए थे। मांझी को पहले से ही शायद आभास रहा होगा कि इस बार चुनाव में जीत किसकी होगी।
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कागज वाले मतदान की थी मांग –
ऐसा भी तो हो सकता है कि महागठबंधन को भी मांझी की तरह ही जनता के मूड का पता रहा होगा और उन्होंने स्याही के बहाने अभी से चुनाव में संभावित हार के लिए कोई बहाना ढूंढ़ना शुरू कर दिया हो। ध्यान रहे कि बिहार चुनाव (Bihar Election) की घोषणा के पहले से ही विपक्ष ने चुनाव आयोग से EVM की जगह कागज वाले मतदान पत्रों से चुनाव कराने की मांग की थी, जिसे चुनाव आयोग ने ठुकरा दिया था।
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