ग्वालियर। कांग्रेस एक बार फिर विधानसभा चुनाव 2018 की रणनीति के साथ मैदान में है। वैसे तो यह कांग्रेस का डीएनए ही है कि वह हमेशा एक छल के साथ जनता का सामना करती है। विधानसभा चुनाव में चेहरा ज्योतिरादित्य सिंधिया का रखा और चुनाव बाद कमलनाथ (Kamal Nath) सामने आ गए।
अब कमलनाथ चेहरा हैं और पर्दे के पीछे फिर दिग्विजय सिंह है।
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दिग्विजय खो चुके जनता का भरोसा
कांग्रेस यह जानती है कि श्री सिंह जनता का भरोसा पूरी तरह खो चुके हैं। कमलनाथ (Kamal Nath) को सामने रख कर सहानभूति भी खड़ी की जा सकती है। इसलिए एक रणनीति के तहत दिग्विजय सिंह मैदान से बाहर तो है पर मोर्चे पर डटे है। राजनीति के जानकार यह भी कहने से नहीं चूक रहे कि दिग्विजय सिंह की पूरी कोशिश रहेगी कि अगर परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आए तो फिर चेहरे को गायब कर दिया जाए।
अब यह रणनीति कितनी कारगर होगी यह आज कहना मुश्किल है।
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दिग्विजय सिंह जनता के बीच नहीं दे रहे दिखाई
प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में भले ही पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ (Kamal Nath) जनता के बीच जाकर सभाएं ले रहे हैं। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं, इसे लेकर तमाम सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर दिग्विजय सिंह हैं कहाँ? पता लगा है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय भोपाल में बैठकर जहां रूठों को मना रहे हैं, वहीं वरिष्ठ नेताओं के कार्यक्रम भी तय कर रहे हैं।
यानी कि उनकी भूमिका जनता के बीच न सही, पर्दे के पीछे संगठन को मजबूत करने में लगी हुई है।
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शिवराज का लगातार कमलनाथ पर हमला
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया इस उपचुनाव में लगातार कमलनाथ एवं दिग्विजय सिंह पर हमला बोल रहे हैं। उनके इस हमले का जवाब देने कमलनाथ (Kamal Nath) तो जनसभाओं में दिखाई दे रहे हैं किंतु दिग्विजय सिंह की ओर से किसी तरह का जवाब सामने नहीं आया है। इसे यह माना जा रहा है कि 10 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद दिग्विजय सिंह जननेता छवि खो चुके, उन्हें विवादास्पद बयान देने के लिए जरूर जाना जाता है। साथ ही उनका नाम ‘बंटाधार’ के रूप में हो गया है।
यही कारण है कि वह किसी भी मशहूर चुनाव में बड़ी जनसभा में दिखाई नहीं देते।
इस उपचुनाव में थी वह अभी तक किसी मंच पर दिखाई नहीं दिए हैं।
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15 महीने रहे मुख्यमंत्री किन्तु पर्दे के पीछे थे दिग्विजय
भाजपा का हमला इसी बात को लेकर है कि 15 महीने मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) रहे किंतु पर्दे के पीछे से सरकार दिग्विजय सिंह ने चलाई जिसकी वजह से सरकार गिरी भी। इसी तरह के आरोप कमलनाथ के मंत्री रहे उमंग सिंघार ने खुलकर लगाए थे जिसपर कांग्रेस में काफी ववाल मचा था।
बताते हैं, कि 28 सीटों पर टिकट वितरण में कुछ सीटों पर दिग्विजय सिंह की भी चली।
उन्हीं के विरोध के कारण मेहगांव से राकेश सिंह चौधरी का टिकट कटा।
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दिग्विजय खुद को छुपाये हुए है
ब्यावरा से कांग्रेस प्रत्याशी को टिकट दिलाने में भी उनकी ही भूमिका मानी गई है। कांग्रेस एक सोची समझी रणनीति के तहत जान-बूझकर दिग्विजय सिंह को जनता के बीच नहीं ला रही, क्योंकि समूची कांग्रेस यह भली- भाति जानती है कि दिग्विजय सिंह को जनता के मंच पर लाएंगे तो भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
इसीलिए दिग्विजय सिंह को पर्दे के पीछे संगठन की भूमिका में लगा रखा है।
इसमें स्वयं दिग्विजय सिंह भी फिलहाल अपने आप को छुपाए हुए हैं।
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