देश। नवरात्री (Navratri) में हर घर में एक अलग ही रौनक रहती है। हमारे हिन्दू शास्त्र में नौ देवियो का बहुत महत्व है। हम नवरात्री (Navratri) को बहुत मानते भी है। जिस तरह हमारे लिए दीपावली होती है, उसी तरह नवरात्री भी होती है। आज नवरात्री का पंचम दिन है। आज माता के स्कंदमाता के नाम से प्रचलित्त रूप का पूजन होता है। भगवान् कार्तिकेय का एक नाम स्कन्द भी है, जो ज्ञानशक्ति और कर्मशक्ति के सूचक है। स्कन्द इन्हीं दोनों के मिश्रण का परिणाम है। स्कंदमाता वो दैवीय शक्ति है, जो व्यवहारिक ज्ञान को सामने लाती है – वो जो ज्ञान को कर्म में बदलती हैं।
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स्कंदमाता इच्छा शक्ति, ज्ञान शक्ति और क्रिया शक्ति का है समागम
शिव तत्व आनंदमय, सदैव शांत और किसी भी प्रकार के कर्म से परे का सूचक है। देवी तत्व आदिशक्ति सब प्रकार के कर्म के लिए उत्तरदायी है। ऐसी मान्यता है कि देवी इच्छा शक्ति, ज्ञान शक्ति और क्रिया शक्ति का समागम है। जब शिव तत्व का मिलन इन त्रिशक्ति के साथ होता है तो स्कन्द का जन्म होता है। स्कंदमाता ज्ञान और क्रिया के स्रोत, आरम्भ का प्रतीक है।
इसे हम क्रियात्मक ज्ञान अथवा सही ज्ञान से प्रेरित क्रिया भी कह सकते हैं।
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मुश्किल में स्कन्द तत्व का उदय होता है
हम अक्सर कहते हैं, कि ब्रह्म सर्वत्र, सर्वव्यापी है, किंतु जब आपके सामने अगर कोई चुनौती या मुश्किल स्थिति आती है, तब आप क्या करते हैं? तब आप किस प्रकार कौन-सा ज्ञान लागू करेंगे या प्रयोग में लाएँगे? समस्या या मुश्किल स्थिति में आपको क्रियात्मक होना पड़ेगा।
अतः जब आपका कर्म सही व्यवहारिक ज्ञान से लिप्त होता है तब स्कन्द तत्व का उदय होता है।
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माता स्कंदमाता की पूजा विधि
नवरात्रि के पांचवे दिन स्नान आदि से निवृत हो जाएं और फिर स्कंदमाता का स्मरण करें। इसके पश्चात स्कंदमाता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प अर्पित करें। उनको बताशा, पान, सुपारी, लौंग का जोड़ा, किसमिस, कमलगट्टा, कपूर, गूगल, इलायची आदि भी चढ़ाएं। फिर स्कंदमाता की आरती करें।
स्कंदमाता की पूजा करने से भगवान कार्तिकेय भी प्रसन्न होते हैं।
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